कानपुर: रामलीला ग्राउंड में रावण के पुतले को अंतिम रुप देते कारीगर

डीएन संवाददाता

कानपुर के परेड की रामलीला और दशहरा शहर में काफी प्रसिद्ध है। सैकड़ो वर्षों से चली आ रही परेड के दशहरा को देखने के लिए यहां परेड रामलीला ग्राउंड में काफी भीड़ उमड़ती है।

रावण के पुतले को अंतिम रुप देते कारीगर
रावण के पुतले को अंतिम रुप देते कारीगर


कानपुर: परेड की रामलीला और दशहरा शहर में काफी प्रसिद्ध है। सैकड़ो वर्षों से चली आ रही परेड के दशहरा को देखने के लिए यहां परेड रामलीला ग्राउंड में लाखों की भीड़ उमड़ती है। यहां जो रावण का पुतला दहन के लिए तैयार किया जाता है शहर के और रावण के पुतलो की अपेक्षा कही ज्यादा बड़ा और आकर्षक होता है। जब यह 90 फ़ीट का रावण ग्राउंड में तैयार होकर खड़ा किया जाता है तो लोगों के आकर्षण का केंद्र बन जाता है। दशहरा के लिए शुक्रवार को परेड ग्राउंड में 90 फ़ीट के रावण के पुतले को अंतिम रूप देने के लिए अलग राज्य से आये 15 से 16 कारीगर अपने काम मे जुटे हुए हैं।

जीएसटी की पड़ी है मार

राजस्थान से आये कारीगर सलीम खान पिछले 15 वर्षों से अपने परिवार के 15 से 16 सदस्यों के साथ परेड के रावण का पुतला बनाते चले आ रहे है। डाइनामाइट न्यूज़ से बातचीत के दौरान सलीम ने बताया कि परेड रामलीला ग्राउंड का रावण का पुतला शहर में सबसे बड़ा होता है और 90 फ़ीट इसकी ऊंचाई होती है। रावण के पुतले को बनाने में डेढ़ महीने का समय लगता है जिसमें बांस, दफ़्ती, रद्दी आदि मैटेरियल्स का प्रयोग किया जाता है।

इस रावण के पुतले की खास बात यह है कि रावण दहन के समय इसकी छतरी घूमकर हवा में उड़ेगी और मुंह से फूल झड़ेंगे, आँखों से आग छोड़ेगा, और ढोल घूमेगी। सलीम ने बताया कि ये हमारा पुश्तेनी काम है शुरुआत से हमारे परिवार के लोग रावण के पुतले बनाते चले आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस बार जीएसटी लग जाने से रावण के पुतले में लगने वाले मैटेरियल्स को लेकर काफी गहरा प्रभाव पड़ा है। 










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