नगालैंड: ओटिंग पीड़ितों के परिवारों, जीवित बचे लोगों के लिए चुनाव महज एक और ‘कार्यक्रम’

डीएन ब्यूरो

नगालैंड में होने जा रहा विधानसभा चुनाव काम्यिन के लिए कोई मायने नहीं रखता है क्योंकि 70 की उम्र पार कर चुकी इस महिला का जीवन सिर्फ अपने युवा बेटे की देखभाल में बीत रहा है, जो दिसंबर 2021 में सेना के एक उग्रवाद रोधी अभियान में घायल होने के बाद से मरणासन्न स्थिति में है।

(फाइल फोटो )
(फाइल फोटो )


ओटिंग (नगालैंड): नगालैंड में होने जा रहा विधानसभा चुनाव काम्यिन के लिए कोई मायने नहीं रखता है क्योंकि 70 की उम्र पार कर चुकी इस महिला का जीवन सिर्फ अपने युवा बेटे की देखभाल में बीत रहा है, जो दिसंबर 2021 में सेना के एक उग्रवाद रोधी अभियान में घायल होने के बाद से मरणासन्न स्थिति में है।

काम से लौट रहे छह कोयला खनिक मोन जिले के ओटिंग गांव में चार दिसंबर 2021 को सुरक्षा बलों के हमले में मारे गए थे, जबकि सेना के एक ट्रक पर गोलियों से छलनी श्रमिकों के शवों को देखने के बाद गुस्साए ग्रामीणों के साथ हुई झड़प में सात अन्य को गोली मार दी गई थी।

झड़प में एक सुरक्षाकर्मी की भी मौत हो गई थी। मोन कस्बे में अगले दिन असम राइफल्स के शिविर पर भीड़ के हमला करने पर एक और नागरिक को गोली मार दी गई। कोयला खनिकों के वाहन पर घात लगाकर किये गये हमले में बचने वाले दो लोगों में यिहवांग भी शामिल था, जबकि इसके बाद हुई हिंसा में 10 अन्य लोग घायल हुए थे।

काम्यिन ने एक दुभाषिये के माध्यम से कहा, ‘‘मुझे प्रसन्नता है कि मेरा बेटा बच गया। मेरा जीवन अब उसकी सभी जरूरतों की देखभाल करने तक सीमित है।’’ रसोई घर की फर्श पर सिर से पैर तक कंबल से ढंका 34 वर्षीय यिहवांग लेटा हुआ था।

यिहवांग का बड़ा भाई चार सदस्यीय परिवार का भरण-पोषण करने वाला इकलौता व्यक्ति है और उसने कहा, ‘‘ वह बच गया,लेकिन क्या वह जीवित है?’’

यिहवांग के भाई ने कहा, ‘‘शुरुआती इलाज और 50 हजार रुपये की अनुग्रह राशि के बाद हमें कोई सरकारी सहायता नहीं मिली। हमारा भाई अब चिकित्सकों की मदद से दूर है। समय पर कुछ किया गया होता तो उसे मदद मिल सकती थी।’’

यिहवांग के परिवार एवं अन्य पीड़ितों के परिवारों के लिए चुनाव केवल एक और ‘कार्यक्रम’ भर है, हालांकि गांव के कुछ लोगों को अधिक उम्मीद है क्योंकि ओटिंग के राजा भी इस बार चुनाव मैदान में हैं।

हमले के वक्त चेनवांग कोन्याक का बेटा चालक की सीट पर था और उसकी मौके पर ही मौत हो गई थी। चेनवांग ने कहा, ‘‘अनुग्रह राशि का भुगतान किया गया और मारे गये लोगों के रिश्तेदारों को सरकारी नौकरियां प्रदान की गई थीं। लेकिन हमें कुल यही मदद मिली। हमारे लोग परिवार का गुजारा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।’’

कैंसर को मात दे चुके चेनवांग ने कहा, ‘‘लोग हमसे कह रहे हैं कि माफ कर दो और भूल जाओ। लेकिन हम किसे माफ करें? पहले हमें बताया जाए कि ये लोग घटना के लिए जिम्मेदार हैं।’’ बेटे की मौत के बाद मस्तिष्काघात का शिकार हुए चेनवांग ने कहा कि उन्हें ‘न्याय’ की प्रतीक्षा है।

लेनवांग कोन्याक के लिए सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (अफस्पा) का मोन से वापस नहीं लिया जाना ‘न्याय से इनकार’ करना है।

उन्होंने कहा, ‘‘इस त्रासदीपूर्ण घटना के बाद यहां अफस्पा को वापस लिये जाने की व्यापक मांग थी। इसे राज्य के बहुत से हिस्सों से हटा लिया गया है, लेकिन हमारे यहां यह अब भी बरकरार है, जहां इसने बड़ी चोट पहुंचाई थी। हमें लगता है कि यह ‘न्याय से इनकार’ करने जैसा है।’’

ग्राम परिषद के एक सदस्य लैपवांग को निर्वाचित प्रतिनिधियों पर ज्यादा भरोसा नहीं है, क्योंकि उन्होंने शायद ही उनके जीवन में कोई बदलाव लाया हो। उन्होंने कहा कि लोगों को चुनाव की ज्यादा चिंता नहीं है क्योंकि लोगों को राजनेताओं से कोई उम्मीद नहीं है।

ओटिंग तिजित विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है, जिसका प्रतिनिधित्व वर्तमान में भाजपा के पी पैवांग कोन्याक कर रहे हैं, जो निवर्तमान सरकार में परिवहन, नागरिक उड्डयन और रेलवे मंत्री हैं।

ओटिंग के राजा के बाद यहां तीसरे उम्मीदवार टी थॉमस हैं जो कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।

नगालैंड ने इस घटना की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है। एसआईटी ने अदालत के समक्ष सेना की ‘पैरा स्पेशल फोर्स’ के अभियान दल के 30 जवानों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है जो ओटिंग में गोलीबारी की घटना में शामिल था।

वहीं, सेना ने भी इस मामले में ‘कोर्ट ऑफ इनक्वायरी’ शुरू की थी, जो अपनी जांच पूरी कर चुकी है। 60 सदस्यीय नगालैंड विधानसभा के लिए चुनाव 27 फरवरी को होंगे, जबकि मतगणना दो मार्च को होगी।

 










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