महराजगंज: सवालों के घेरे में रैन बसेरा, जिले में नहीं कोई गरीब बेचारा

डीएन संवाददाता

जनसरोकारों से जुड़ी योजनाओं की पड़ताल करना और उनकी वास्तविकता को संबंधित शासन-प्रशासन समेत जनता के सामने लाकर समाज में सच्चे प्रहरी की भूमिका निभाना डाइनामाइट न्यूज़ की एक बड़ी खासियत है। अपनी इसी विशिष्ठता पर काम करते हुए डाइनामाइट न्यूज़ की टीम ने आज जिले में स्थित रैन बसेरा का जायजा लिया और जाना वहां का हाल। रैन बसेरा को देखकर लगता है कि सरकार ने इसका निर्माण कर महज एक खानापूर्ति या औपचारिकता पूरी की है। जाने पूरी कहानी..



महराजगंज: गरीब और छतों से वंचित लोगों के लिये कड़ाके की ठंड से बचाना और हर नागरिक को सुरक्षित रखना सरकार व शासन की सबसे पहली जिम्मेदारी होती है। कई मर्तबा सरकार इन जिम्मेदारियों को निभाती भी है, लेकिन लापरवाही और प्रशासनिक उदासीनता के कारण इनके नाकामयाब परिणाम सामने आते है। सरकार की हर बेहतर पहल तब कटघरे में आ जाती है, जब इसके लाभ उस व्यक्ति या संस्था को नहीं मिलते, जिसके लिये इन्हें शुरू किया जाता है।

 

 

सड़क किनारे ठंड में ठिठुरते गरीब

शासन-प्रशासन और सरकार ने भी जिले में गरीब और वंचितों को कड़ाके की ठंड से बचाने के लिये महराजगंज के नगर पालिका क्षेत्र में लाखों रूपयों की लागत से एक शानदार रैन बसेरा का निर्माण कराया। जन सरोकारों से जुड़ी शासन की इस योजना का खूब स्वागत भी किया गया। सरकार ने भी इस निर्माण के बूते पर अपने आंकड़ों में उम्मीद जतायी कि अब जिले में ठंड से सड़क पर मरने वाले गरीबों की तादाद में कमी आयेगी। सभी आंकलन ठीक थे और डाइनामाइट न्यूज़ टीम को भी लगा कि इस योजना का लाभ जिले के जरूरतमंदों को जरूर मिल रहा होगा। लेकिन एक सर्द रात ने इस रैन बसेरे को लेकर हमारी जिज्ञासा को उस समय बढ़ा दिया, जब सड़क किनारे हमने कुछ गरीबों को खुले आसमान के नीचे ठंड में ठिठुरते देखा। 

 

 

रैन बसेरे में रहने वाला कोई नहीं

उक्त दृश्य को देखने के बाद डाइनामाइट न्यूज़ टीम ने रात में जिला मुख्यालय में स्थित रैन बसेरे का जायजा लेने का ठाना। हमने सोचा कि शायद रैन बसेरे में जगह न होने के कारण कुछ लोग सड़क पर इस तरह रहने को मजबूर होंगे लेकिन यहां पहुंचकर हमारी सोच पूरी तरह गलत साबित हुई। गरीबों के लिये बने इस रैन बसेरे में रहने वाला कोई नहीं था। हमें वहां सिर्फ एक कर्मचारी मिला, जो वहां की देखरेख करता है। डाइनामाइट न्यूज़ के सवालों पर वह सकपका उठा।

बदबूदार गद्दे, कीचन और बॉथरूम लॉक 

रैन बसेरा के रियल्टी टेस्ट में कई खामियां देखने को मिली। वहां के बाथरूम और कीचन में ताला लगा हुआ था। कर्मचारी ने पूछने पर बताया कि बाथरूम और कीचन में लकड़ियां रखी गयी है। बरामदे में पंलगें तो थी लेकिन उनमें बिछाये गये सभी गद्दे बदबूदार और मिट्टी से सने मिले। पानी की कोई व्यवस्था नजर नहीं आयी। कर्मचारी ने बताया कि जो कुछ है सामने है। यहां पूरी तरह असुविधाओं का अंबार नजर आया। यहां कोई आश्रय लेने वाला तो नहीं दिखा लेकिन कई खामियां देखने को जरूर मिली।

सरकार ने केवल खानापूर्ति के लिये बनाया रैन बसेरा?

रैन बसेरा के खालीपन को देखकर हमें एक बारगी ऐसा प्रतीत हुआ कि जैसे जिले में अब खुले आसमां के नीचे सर्द मौसम में सड़क पर सोने वाला कोई गरीब हो ही नहीं लेकिन पिछली रात सर्द मौसम ठिठुरते गरीबों की हमें याद आ गयी। रैन बसेरा के सूनेपन को देखकर लगता है कि सरकार ने इसे केवल खानापूर्ति के लिये ही बनाया है, क्योंकि यहां न तो कोई रहने वाला है और यहां कोई सुविधायें हैं। 
 

 










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