एमएसीटी का आदेश, इस सड़क हादसे में मारे गए व्यक्ति के परिवार को मिलेगा 1.19 करोड़ रुपये का मुआवजा
मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) ने 2019 में सड़क दुर्घटना में मारे गए मुंबई के 33-वर्षीय एक व्यक्ति के परिवार को 1.19 करोड़ रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
ठाणे: मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) ने 2019 में सड़क दुर्घटना में मारे गए मुंबई के 33-वर्षीय एक व्यक्ति के परिवार को 1.19 करोड़ रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, एमएसीटी के सदस्य एम. एम. वलीमोहम्मद ने 25 अप्रैल को पारित आदेश में दुर्घटना में शामिल वाहन का मालिकाना हक रखने वाली सिलवासा स्थित गुलनार प्लास्टिक प्राइवेट लिमिटेड और इसकी बीमा कंपनी टाटा एआईजी जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को दावा दायर करने की तारीख से संयुक्त रूप से 1,19,64,400 रुपये सात प्रतिशत प्रतिवर्ष ब्याज दर के साथ दो महीने के भीतर दावेदारों को प्रदान करने को कहा।
आदेश में कहा गया कि भुगतान नहीं करने की स्थिति में मुआवजा प्रदान किये जाने तक आठ प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज का भुगतान करना होगा। आदेश की प्रति बुधवार को उपलब्ध हो पाई।
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मृतक शैलेश मिश्रा की पत्नी, नाबालिग बेटी व माता-पिता की ओर से याचिका दायर की गई थी। उनके वकीलों- एस एल माने ने एमएसीटी को बताया कि मिश्रा एक कपड़ा कंपनी में काम करते थे और प्रति महीने 60,000 रुपये उनका वेतन था।
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि मिश्रा 17 जून, 2019 को मुंबई में वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे पर कांदिवली से अंधेरी तक एक कार में यात्रा कर रहे थे। उन्होंने आगे कहा कि एक अन्य कार गलत दिशा से तेज रफ्तार आई और गोरेगांव में दुर्गादी के पास मिश्रा की कार को टक्कर मार दी, जिसके कारण मिश्रा गंभीर रूप से घायल हो गए और मौके पर ही उनकी मौत हो गई। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि मिश्रा परिवार के इकलौते कमाऊ सदस्य थे।
घटना में शामिल कार के मालिक के वकीलों और उसकी बीमा कंपनी ने विभिन्न आधार पर दावों को चुनौती दी।
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एमएसीटी ने अपने आदेश में कहा कि प्राथमिकी के बाद मौके पर पंचनामा, दुर्घटना में मौत की रिपोर्ट और बयानों से साबित होता है कि घटना में संबंधित वाहन और उसके ड्राइवर की संलिप्तता थी। आदेश के अनुसार, लापरवाही से गाड़ी चलाने के कारण यह दुर्घटना हुई।
एमएसीटी ने कहा, ‘‘बीमा कंपनी को मुआवजा भुगतान करने का निर्देश दिया जाता है और वह वाहन के मालिक से राशि वसूल करने के लिए स्वतंत्र है।’’