लखनऊ: पूरे यूपी में फैला है अनामिका का जाल, संगठित गिरोह से मिली शह, सिस्टम पर भी सवाल

डीएन ब्यूरो

फर्जीवाड़ा करके उत्तर प्रदेश के दो दर्जन से अधिक स्कूलों से लाखों रूपये लेने वाली अनामिका का जाल पूरे राज्य में फैला हुआ है, जिसके पीछे एक बड़ा संगठित गिरोह काम कर रहा था। जानिये, पूरी इनसाइड स्टोरी

अनामिका शुक्ला (फाइल फोटो)
अनामिका शुक्ला (फाइल फोटो)


लखनऊ: उत्तर प्रदेश के 25 स्कूलों से एक करोड़ रूपये का वेतन हासिल करने वाली अनामिका शुक्ला आखिरकार पुलिस के हत्थे चढ गयी। कासगंज पुलिस ने इस महाठग को कथित तौर पर उस समय गिरफ्तार किया जब वह विभागीय नोटिस का जबाव देने और डर के कारण इस्तीफा सौंपने आयी थी। 

कुछ रिपोर्टों पर यदि भरोसा किया जाये तो यह भी कहा जा रहा है कि अनामिका फर्जीवाड़े का गिरोह पूरे राज्य में फैला हुआ है, जो अंदर तक अपनी पैठ रखता है। सिस्टम की कमजोरियों का फायद उठाकर ही यह गिरोह फर्जीवाड़ा करके लाखों के वारे-न्यारे कर रहा है। समझा जा रहा है कि मामले की जांच के बाद इसमें कई तरह के चौकाने वाले तथ्य उजागर हो सकते हैं।  

आरोपी अनामिका से शुरूआती पूछताछ में जो बात पुलिस के सामने आयी है, उसके मुताबिक शुरुआत में अनामिका ने एक लाख रुपये रिश्वत देकर बतौर शिक्षक नौकरी हासिल की थी। सूत्रों के मुताबिक रिश्वत लेकर अनामिका को नौकरी दिलवाने वाला भी कोई संगठित गिरोह है, जिसका जाल पूरे राज्य में फैला हो सकता है। अनामिका का मामला उजागर होने के बाद से इस गिरोह का भी भांडा सकता है। इसके साथ ही सरकारी सिस्टम पर भी सवाल उठ रहे हैं। 

अनामिका ने जिन स्कूलों में शिक्षक संविदा के रूप में अब तक काम करके एक करोड़ से अधिक कमाये है, उनमें यूपी के अंबेडकर नगर, बागपत, अलीगढ़, सहारनपुर, प्रयागराज समेत कई अन्य स्कूल शामिल है। अन्य जगहों पर भी उसने कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में विज्ञान शिक्षिका के रूप में काम किया। प्रयागराज सहित पांच जिलों के कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में एक ही प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी करने की आरोपित शिक्षिका अनामिका शुक्ला के बिना मूल दस्तावेज देखे उसे नियुक्त कर दिया गया था।

बीएसए की जांच रिपोर्ट के मुताबिक राज्य परियोजना निदेशक के पत्र के क्रम में अनामिका शुक्ला पुत्री सुभाष चन्द शुक्ला प्रथम दृष्टया दोषी मिली है। यह भी पता चला है कि अनामिका ने फर्जी अभिलेखों के आधार पर विभाग को गुमराह करते हुए नियुक्ति प्राप्त की है। वह जब शिक्षा विभाग के नोटिस के जवाब में अपना त्यागपत्र प्रस्तुत करने के लिए रविवार को ऑफिस में उपस्थित हुई थी तो उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

अनामिका के फर्जीवाड़े से सरकारी सिस्टम पर भी सवाल उठाये जा रहे है। विभाग की घोर लापरवाही भी इसमें सामने आती दिख रही है। यह सवाल स्वाभाविक है कि आखिर आज के तकनीक युक्त वक्त में विभाग ने कैसे इतने जगहों पर उसकी नियुक्ति की और सैलरी के रूप में उसे भुगतान किया जाता रहा। उसके अभिलेखों की जांच में सिस्टम से आखिर कैसे चूक हो गयी।
 










संबंधित समाचार