लोकसभा: रेलगाड़ियों में वरिष्ठ नागरिकों के लिए रियायत की मांग
लोकसभा में कुछ सदस्यों ने रेलगाड़ियों में यात्रा करने वाले वरिष्ठ नागरिकों के लिए किराये में रियायत एवं सुविधाएं बढ़ाने की मांग उठाई। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नयी दिल्ली: लोकसभा में कुछ सदस्यों ने रेलगाड़ियों में यात्रा करने वाले वरिष्ठ नागरिकों के लिए किराये में रियायत एवं सुविधाएं बढ़ाने की मांग उठाई।
सदन में शून्यकाल के दौरान जनता दल (यूनाइटेड) के सांसद कौशलेंद्र कुमार ने कहा कि कोरोना महामारी आने से पहले वरिष्ठ नागरिकों को रेल किराये में छूट मिलती थी, लेकिन इसे बंद कर दिया गया।
उन्होंने कहा, ‘‘कोरोना खत्म हो गया, लेकिन वरिष्ठ नागरिकों को किराये में रियायत मिलना शुरू नहीं हुई।’’
कुमार ने सरकार से आग्रह किया कि वरिष्ठ नागरिकों को रेल किराये में पहले मिलने वाली रियायत को बहाल किया जाए।
भारतीय जनता पार्टी के सांसद रमेश बिधूड़ी ने सरकार से आग्रह किया कि रेलगाड़ियों में वरिष्ठ नागरिकों के लिए नीचे की सीट सुनिश्चित करने की व्यवस्था की जाए ताकि उन्हें यात्रा में परेशानी नहीं हो।
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उन्होंने कहा, ‘‘आजकल छोटे परिवार होते हैं और वरिष्ठ नागरिक आमतौर पर अकेले यात्रा करते हैं। ट्रेन में बीच की या ऊपर की सीट मिलने से उन्हें परेशानी होती है...यह सुनिश्चित किया जाए कि उन्हें नीचे की सीट ही मिले।’’
कांग्रेस सांसद रवनीत बिट्टू ने कहा कि दिल्ली में उन किसानों के सम्मान में स्मारक बनाया जाना चाहिए जिनकी किसान आंदोलन के दौरान मौत हो गई थी।
कांग्रेस के प्रद्युत बारदोलोई ने कहा कि पूर्वोत्तर देश का ‘कैंसर कैपिटल’ बन रहा है और सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए।
उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि कैंसर के इलाज को किफायती बनाने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएं।
जनता दल (यूनाइटेड) के राजीव रंजन सिंह उर्फ लल्लन सिंह ने अपने संसदीय क्षेत्र मुंगेर में कुछ स्टेशनों पर यात्री ट्रेनों का ठहराव सुनिश्चित करने का आग्रह किया।
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डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने उत्तराखंड की सिल्कयारा सुरंग में 41 मजदूरों के कई दिनों तक फंसे रहने का विषय उठाया और कहा कि ऐसा यह कोई इकलौता मामला नहीं है, ऐसे कई मामले हो चुके हैं।
उन्होंने कहा कि उत्तरकाशी में इस तरह की त्रासदी को टाला जा सकता था, अगर पहले विशेषज्ञों की राय पर अमल किया जाता।
चौधरी ने आरोप लगाया कि सरकार ने विशेषज्ञों की राय पर अमल नहीं किया।