Kisan Andolan: किसान आंदोलन के 300 दिन पूरे होने पर भारतीय युवक कांग्रेस ने साधा सरकार पर निशाना

डीएन ब्यूरो

देश में चल रहे सबसे बड़े जनांदोलन यानि किसान आंदोलन को शुरू हुए आज 300 दिन पूरे हो गए हैं। इस मौके पर भारतीय युवक कांग्रेस, गुजरात के प्रवक्ता तेजस वाछानी ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है। पढ़ें पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

किसान आंदोलन के 300 दिन पूरे (फाइल फोटो)
किसान आंदोलन के 300 दिन पूरे (फाइल फोटो)


गांधीनगरः किसान आंदोलन को आज 300 दिन पूरे हो गए हैं। केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ हरियाणा, पंजाब और यूपी के किसान बीते कई माह से दिल्ली की सीमा पर धरना देकर प्रदर्शन कर रहे हैं, फिर भी सरकार इनकी तरफ बिल्कुल ध्यान नहीं दे रही है।

गुजरात के प्रवक्ता तेजस वाछानी ने मोदी सरकार पर निशाना साधते कहा कि देश का किसान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के घर से 20 किलोमीटर की दूरी पर पिछले 300 दिन से बेठा हुआ है 650 ज्यादा किसान ने अपनी जान गवाई है लेकिन इसके पश्चात भी प्रधानमंत्री ने श्रद्धांजली के दो शब्द नहीं बोले प्रधानमंत्री  अमेरिका जा सकते है लेकिन 20 किलोमीटर दूरी पर बैठे किसान से बात नही कर सकते आखिर इतना अंहकार ओर अभिमान क्यों ? 

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तेजस वाछानी ने कृषि कानून के बारे आगे बताते हुए कहा की प्रथम कानून कृषि मंडियों के व्यापार को बंध करेगा, द्वितीय कानून किसानों को न्यायलय में जाने से वर्जित करेगा और तीसरे कानून के कारण मुनाफाखोरी और महंगाई बढ़ेगी। अर्थात प्रथा कानून से उचित मूल्य नहीं, दुसरे से कानून से न्याय नहीं और तीसरे कानून से काला बाज़ारी को बढ़ावा मिलेगा। प्रदेश प्रवक्ता तेजस वाछानी ने विस्तृत में तीनों कृषि विरोधी काले कानूनों के देश के किसान, उसकी आजीविका तथा कृषि व्यापार पर इन कानूनों के नकारात्मक प्रभावों के बारे बताया। विशेष तौर पर दूसरे कृषि कानून मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा विधेयक 2020, में किसानों और व्यापारी के मध्य विवाद के दौरान किसान को न्यायालय में जाने से वर्जित करता है, जिसका मतलब है कि किसान और व्यापारी के बीच दौरान दोनों सर्वप्रथम को SDM के पास जाना होगा और SDM की निगरानी में विवाद को सुलझाने के लिए बोर्ड गठित किया जाएगा व बोर्ड के अध्यक्ष SDM के अधीन कार्य करेंगे।

भारतीय युवक कांग्रेस, गुजरात के प्रवक्ता तेजस वाछानी

यदि बोर्ड के फैसले से विवाद नहीं सुलझा तो दोनो पुनः SDM के पास जाएगे और SDM से भी विवाद नहीं सुलझा तो दो नो पक्ष कलेक्टर के पास जाएगे लेकिन इसके आगे का रास्ता बंद कर दिया गया है, कानून में लिखा है कि SDM का फैसला सिविल न्यायाधीश के समान है और कोई भी सिविल कोर्ट SDM या कलेक्टर के फैसले का संज्ञा नहीं लेगा। यह कैसा कानून है जो किसान को सिविल कोर्ट जाने से रोक रहा है, कृषि मंत्री 11 दिसम्बर को कहते है की किसान के सबसे नजदीक SDM होता है इसके लिए यह अधिकार दिया गया है लेकिन किसान के पास तो पटवारी, सरपंच भी होते है ऐसे में क्या यह अधिकार उसे दिया जाएगा ? यह कौन सा तर्क है? अभी तो आंदोलन चल रहा है और एक SDM कहते है कि किसान के सिर फोड़ो, ऐसे में आप उनके पास किसान को न्याय की प्राप्ति हेतु कैसे भेज सकते हो? जिस SDM के हाथ में कानून व्यस्था की जिम्मेदारी हो ऐसे में उनके हाथ मे न्यायिक जिम्मेदारी कैसे प्रदान की जा सकती है? संविधान के अनुच्छेद 50 में इसलिए न्यापालिका और कार्यापालिका की शक्तियों मध्य दूरी तथा उंचित अंतराल रखने की बात को अंकित किया गया।

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