खजनी सीओ कार्यालय के जांच लिपिक शनि चौधरी पर आई मुसीबत, लगा गंभीर आरोप
गोरखपुर में खजनी सीओ कार्यालय के जांच लिपिक शनि चौधरी पर गंभीर आरोप लगा है। जिसके चलते उन्हें बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

गोरखपुर: खजनी सीओ कार्यालय में तैनात जांच लिपिक शनि चौधरी को निलंबित कर दिया गया है और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी गई है। उन पर अपने पर्यवेक्षण अधिकारी एसपी साउथ जितेंद्र कुमार के फर्जी हस्ताक्षर कर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करने का आरोप है। इस खुलासे के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है।
कैसे हुआ फर्जीवाड़ा का पर्दाफाश?
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, शनि चौधरी पिछले दो साल से जांच लिपिक के पद पर कार्यरत थे। हाल ही में दो मामलों की चार्जशीट तैयार की गई थी, जिसे एसपी साउथ के हस्ताक्षर के बाद कोर्ट में दाखिल किया जाना था। लेकिन शनि चौधरी ने खुद ही एसपी के फर्जी हस्ताक्षर कर थाने के अधिवक्ता के माध्यम से चार्जशीट सिविल कोर्ट में भेज दी।
जब चपरासी ने कोर्ट में चार्जशीट रिसीव की तो उस पर किए गए हस्ताक्षर संदिग्ध लगे। संदेह होने पर उन्होंने चार्जशीट वापस भेज दी और एसपी साउथ को मामले की जानकारी दी। एसपी ने अपने कार्यालय में अभिलेख खंगाले तो पुष्टि हुई कि चार्जशीट पर उनके मूल हस्ताक्षर नहीं हैं।
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मुंशी निलंबित, बड़े खुलासे की संभावना
फर्जी हस्ताक्षर की पुष्टि होने के बाद एसपी ने तत्काल जांच के आदेश दिए। जांच में अनियमितता पाए जाने पर शनि चौधरी को निलंबित कर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया। साथ ही अब यह भी जांच की जा रही है कि अपने दो साल के कार्यकाल में उन्होंने और कितनी चार्जशीट में अनियमितताएं की हैं।
पुलिस यह भी पता लगाने का प्रयास कर रही है कि फर्जी चार्जशीट दाखिल कर किसे लाभ पहुंचाने का प्रयास किया गया। इसके अलावा इस बात की भी जांच चल रही है कि इस पूरे फर्जीवाड़े में मुंशी के साथ किसी अन्य पुलिसकर्मी या बाहरी व्यक्ति की मिलीभगत तो नहीं थी।
पुलिस महकमे में हड़कंप, पारदर्शिता पर जोर
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इस सनसनीखेज खुलासे के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप है। अधिकारियों ने कहा है कि जांच प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और मजबूत बनाने की जरूरत है। इसके अलावा, इस मामले ने प्रशासनिक लापरवाही और पुलिस विभाग की निगरानी प्रणाली में खामियों को भी उजागर किया है।