Maharashtra: रत्नागिरी में प्रस्तावित तेल रिफाइनरी के खिलाफ प्रदर्शन पर उद्योग मंत्री ने साधा ठाकरे पर निशाना, कही ये बात

डीएन ब्यूरो

महाराष्ट्र के रत्नागिरी में प्रस्तावित तेल रिफाइनरी के खिलाफ जारी प्रदर्शनों के बीच मंगलवार को राज्य के उद्योग मंत्री उदय सामंत ने कहा कि परियोजना के लिए वर्तमान स्थल का सुझाव तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने दिया था।

रत्नागिरी में तेल रिफाइनरी के खिलाफ प्रदर्शन
रत्नागिरी में तेल रिफाइनरी के खिलाफ प्रदर्शन


मुंबई/नासिक: महाराष्ट्र के रत्नागिरी में प्रस्तावित तेल रिफाइनरी के खिलाफ जारी प्रदर्शनों के बीच मंगलवार को राज्य के उद्योग मंत्री उदय सामंत ने कहा कि परियोजना के लिए वर्तमान स्थल का सुझाव तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने दिया था जबकि विपक्ष ने सरकार से मृदा सर्वेक्षण कार्य बंद करने और आंदोलन से उत्पन्न स्थिति को संभालने को लेकर संवेदनशील होने का आग्रह किया।

तटीय जिले रत्नागिरी में स्थानीय लोग पर्यावरणीय क्षति संबंधी चिंताओं के कारण अरबों डॉलर की इस परियोजना के तहत होने वाले मृदा सर्वेक्षण कार्य का विरोध कर रहे हैं, जिसकी पृष्ठभूमि में सामंत का यह बयान आया है।

मुंबई से लगभग 400 किमी दूर बरसू गांव में सरकारी वाहनों को परियोजना स्थल में प्रवेश करने से रोकने के लिए महिलाएं सड़क पर लेट गईं, जिसके बाद पुलिस ने 30 से अधिक महिलाओं को हिरासत में ले लिया। जबकि विपक्षी शिवसेना (यूबीटी) ने प्रदर्शनकारियों पर “अत्याचार” तुरंत रोकने की मांग की।

सामंत ने आरोप लगाया कि राजनीतिक लाभ के लिए परियोजना के बारे में जानबूझकर 'गलतफहमी' पैदा की जा रही है।

उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे तथा उनके पुत्र विधायक आदित्य ठाकरे पर कटाक्ष करते हुए यह बात कही, जो महाराष्ट्र की पिछली सरकार (नवंबर 2019 से जून 2022 तक) में पर्यावरण मंत्री थे।

सामंत ने नासिक में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा, “12 जनवरी, 2022 को, तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा था जिसमें सुझाव दिया गया था कि राज्य सरकार रिफाइनरी के लिए नाट्य (क्षेत्र) में 1,300 एकड़ भूमि और 2,144 एकड़ का एक अन्य भूखंड उपलब्ध करा सकती है। उन्होंने परियोजना के लिए बारसू क्षेत्र का सुझाव दिया था।'

शिवसेना के नेता सामंत ने दावा किया कि उद्धव ठाकरे के पत्र में यह उल्लेख भी किया गया है कि इस भूमि के 90 प्रतिशत हिस्से पर कोई मानव बस्ती या पेड़ नहीं हैं।

सामंत ने पत्र का हवाला देते हुए कहा, “पत्र में दावा किया गया है कि रिफाइनरी परियोजना से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होगा। इस परियोजना से राज्य की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और महाराष्ट्र की जीडीपी में 8.5 प्रतिशत की वृद्धि होगी। इससे पेट्रोकेमिकल उत्पादों पर आयात शुल्क भी कम होगा और इसलिए परियोजना को बारसू में स्थापित किया जाना चाहिए।”

इससे पहले आज दिन में महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) विधायक अजीत पवार ने कहा कि रत्नागिरी में प्रस्तावित तेलशोधन कारखाना (रिफाइनरी) की परियोजना के खिलाफ स्थानीय लोगों द्वारा किए जा रहे प्रदर्शन से संवेदनशीलता से निपटना चाहिए।

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उन्होंने साथ ही मांग की है कि राज्य सरकार को मुद्दे का शांतिपूर्ण समाधान होने तक सर्वेक्षण कार्य रोक देना चाहिए।

पवार ने एक बयान में कहा कि जिले के बारसू में प्रस्तावित तेलशोधन कारखाना के खिलाफ प्रदर्शन की खबर दे रहे पत्रकारों की आवाज को ‘दबाने’ की कोशिश बंद होनी चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘ लोकतंत्र में सभी को विरोध करने का अधिकार है। प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया जा रहा है। सरकार को स्थानीय लोगों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए और संवेदनशीलता के साथ मुद्दे से निपटना चाहिए।’’

इस बीच, मंगलवार को तेल शोधन कारखाने (रिफाइनरी) का विरोध कर रहीं 30 से अधिक महिलाओं को हिरासत में लिया गया है।

एक अधिकारी ने बताया कि ये महिलाएं सड़क पर लेटकर राज्य सरकार के वाहनों को प्रस्तावित परियोजना स्थल जाने से रोक रही थीं।

स्थानीय लोग इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं। उन्हें आशंका है कि इस परियोजना से संवेदनशील तटीय कोंकण क्षेत्र की जैवविविधता को नुकसान होगा और उनके जीविकोपार्जन पर विपरीत असर होगा।

विपक्षी शिवसेना (यूबीटी) प्रदर्शनकारियों के समर्थन में आई है और उसने सरकार से तत्काल प्रदर्शनकारियों का ‘उत्पीड़न’ रोकने की मांग की है।

अधिकारियों ने बताया कि सरकारी टीम को मुंबई से करीब 400 किलोमीटर दूर राजापुर के बारसू और सोलगांव में सर्वेक्षण का कार्य करना था लेकिन स्थानीय लोगों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया।

उन्होंने बताया कि मंगलवार की सुबह विरोध प्रदर्शनों में कई महिलाओं ने भी हिस्सा लिया और जिला प्रशासन के वाहनों को परियोजना स्थल पर जाने से रोकने के लिए सड़क पर लेट गईं।

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अधिकारी ने बताया कि कानून व्यवस्था कायम रखने के लिए सैकड़ों पुलिस कर्मियों को परियोजना स्थल पर तैनात किया गया है।

अधिकारी ने बताया कि रत्नागिरी के पुलिस अधीक्षक धनंजय कुलकर्णी और अन्य वरिष्ठ अधिकारी किसी अप्रिय घटना को रोकने के लिए मौके पर मौजूद हैं।

उन्होंने बताया कि 30 से अधिक महिला प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया है और उन्हें रत्नागिरी के एक थाने ले जाया गया है। हालांकि, उनके खिलाफ अब तक कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है।

शिवसेना (यूबीटी) के राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने सरकार से बारसू के लोगों पर ‘अत्याचार’ तत्काल बंद करने की मांग की। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी पार्टी इस मुद्दे पर चुप नहीं बैठेगी और लोगों का समर्थन करेगी।

उन्होंने संवाददाताओं से बातचीत में आरोप लगाया कि बारसू के प्रदर्शनकारियों पर उद्योग मंत्री उदय सामंत पुलिस की मदद से दबाव बना रहे हैं।

राउत ने कहा, ‘‘यह विकृत मानसिकता वाली सरकार है। वे जालियांवाला बाग जैसा नरसंहार कराना चाहते हैं। हम लोगों के साथ हैं और शिवसेना (यूबीटी) चुप नहीं बैठेगी।’’

शिवसेना(यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे ने कहा, ‘‘सरकार को लोगों का उत्पीड़न और मृदा सर्वे रोकना चाहिए।’’

राज्य के पूर्व पर्यावरण मंत्री ने कहा कि सरकार को प्रदर्शन कर रहे स्थानीय लोगों के साथ् संवाद करनी चाहिए।

ठाकरे ने कहा कि पूर्ववर्ती महा विकास आघाडी सरकार ने परियोजना को मंजूरी देने के साथ कुछ शर्तें रखी थीं जिसमें स्थानीय लोगों को भरोसे में लेना एवं उन्हें परियोजना एवं उसके लाभ को विस्तार से बताना था।










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