मानव तस्करी हत्या से ज्यादा खतरनाक, इसे रोकने के लिये की गई ये खास अपील

डीएन ब्यूरो

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मंगलवार को कहा कि मानव तस्करी हत्या से ज्यादा खतरनाक है और इसे रोकने के लिए एक मजबूत कानूनी ढांचे के साथ-साथ सामाजिक जागरूकता की जरूरत है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस


नागपुर: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मंगलवार को कहा कि मानव तस्करी हत्या से ज्यादा खतरनाक है और इसे रोकने के लिए एक मजबूत कानूनी ढांचे के साथ-साथ सामाजिक जागरूकता की जरूरत है।

फडणवीस, महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग और 'तस्करी के खिलाफ गठबंधन' द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित 'महिलाओं की व्यावसायिक यौन तस्करी की रोकथाम' पर एक पैनल चर्चा में बोल रहे थे।

उन्होंने कहा, 'मानव तस्करी हमारे सामने एक बहुत बड़ी चुनौती है। कहा जाता है कि नशीले पदार्थों का व्यापार दुनिया का सबसे बड़ा व्यापार है लेकिन दुर्भाग्य से मानव तस्करी कुछ हद तक नशीले पदार्थों के व्यापार के साथ-साथ एक बड़ा व्यापार बनता जा रहा है। इसमें महिलाएं और बच्चे सबसे अधिक असुरक्षित हैं।'

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार उप मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके पीड़ित बहुत परेशान हैं और यह हत्या से कहीं अधिक खतरनाक अपराध है।

फडणवीस ने कहा कि मानव तस्करी सीमाओं से परे एक मुद्दा है और इसे रोकने के लिए एक मजबूत कानूनी ढांचे के साथ-साथ सामाजिक जागरूकता और लोगों के आंदोलन की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि यौन शोषण या दुर्व्यवहार के 90 से 95 प्रतिशत मामलों में पीड़ित या पीड़ित के रिश्तेदार अपराधी होते हैं।

उन्होंने कहा कि पहले पीड़ित सामाजिक कलंक या दबाव के कारण पुलिस से संपर्क नहीं करते थे, लेकिन अब यह स्थिति बदल रही है और पीड़ित पुलिस में शिकायत दर्ज कराने के लिए आगे आ रहे हैं।

फडणवीस ने कहा कि राज्य में पुलिस को 90 दिनों में दुष्कर्म के मामलों में चार्जशीट दाखिल करने का निर्देश दिया गया है और 65 प्रतिशत मामलों में इस मानदंड का अनुपालन किया जा रहा है।

उन्होंने कहा, 'लेकिन हमें 90 प्रतिशत तक जाने और एक कुशल न्याय प्रणाली बनाने की जरूरत है जो यह सुनिश्चित करे कि ऐसे अपराध करने वालों को सजा मिले और हमें इसका निवारक प्रभाव देखने को मिले।'

फडणवीस ने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) की 2019 की रिपोर्ट के हवाले से कहा, महाराष्ट्र में 2015 में 1,291 महिलाएं, 2016 में कम से कम 1,020 महिलाएं तथा 2027 में भी लगभग इतनी ही महिलाओं ने देह व्यापार छोड़ा।

उन्होंने कहा कि हर साल, 700 से 800 बच्चों और महिलाओं को जबरन श्रम से बचाया जाता है, लेकिन कई मामले सामने नहीं आते हैं।










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