कैसा वैश्विक विकास सूचकांक में भारत का प्रदर्शन, पढ़ें ये शोध रिपोर्ट
भारत की प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि के बावजूद विभिन्न वैश्विक विकास सूचकांक में भारत का प्रदर्शन खराब बना हुआ है। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहाकर समिति (ईएसी-पीएम) के सदस्य संजीव सान्याल के सह-लेखन में छपे एक शोधपत्र में बताया गया है कि ऐसा अंतरराष्ट्रीय संगठनों के अनुमानों में प्रणालीगत पूर्वाग्रहों के चलते है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: भारत की प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि के बावजूद विभिन्न वैश्विक विकास सूचकांक में भारत का प्रदर्शन खराब बना हुआ है। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहाकर समिति (ईएसी-पीएम) के सदस्य संजीव सान्याल के सह-लेखन में छपे एक शोधपत्र में बताया गया है कि ऐसा अंतरराष्ट्रीय संगठनों के अनुमानों में प्रणालीगत पूर्वाग्रहों के चलते है।
शोधपत्र में कहा गया है कि निवेश और व्यापार संबंधी निर्णयों में पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ईएसजी) मानदंडों के बढ़ते इस्तेमाल का मतलब होगा कि पक्षपातपूर्ण आंकड़े तेजी से निर्णय लेने की प्रक्रिया को प्रभावित करेंगे।
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इसमें आगे कहा गया, ‘‘उपर्युक्त तीन विकास संकेतकों (बाल कुपोषण, महिला श्रम बल भागीदारी दर और जीवन प्रत्याशा) के हमारे परीक्षण से यह पता चला है कि अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा भारत के लिए सामाजिक-विकास सूचकांक के अनुमानों में प्रणालीगत पूर्वाग्रह हैं।’’
शोधपत्र के मुताबिक, ‘‘यह प्रति व्यक्ति आय बढ़ने के बावजूद विभिन्न सूचकांक के लगातार नीचे रहने की अधिक व्यापक समस्या का एक उदाहरण हैं।’’
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शोधपत्र में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के गलती भरे अनुमान उनकी अपनी वैचारिक अस्पष्टता, दोषपूर्ण मानक और घटिया कार्यप्रणाली के चलते हैं।