Haryana Election: हरियाणा में थमा चुनाव प्रचार , 5 OCT. को जनता का फैसला

डीएन ब्यूरो

हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए आज शाम 6 बजे प्रचार का शोर समाप्त हो गया है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

हरियाणा में थमा प्रचार
हरियाणा में थमा प्रचार


नई दिल्ली: हरियाणा (Haryana) में चुनाव (Election ) को लेकर प्रचार (Campaign) थम गया है। इस दौरान सभी पार्टियों के नेताओं और उम्मीदवारों (Candidate) ने अपने पक्ष में जीत सुनिश्चित करने के लिए प्रचार में पूरी ताकत झोंकी। अब 5 अक्टूबर को मतदान (Voting) होगा और 8 अक्टूबर को मतों की गणना (Counting) होगी। इसी दिन फैसला हो जाएगा कि अगले 5 साल हरियाणा का मुख्यमंत्री किस पार्टी से होगा । 

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार हरियाणा विधानसभा की सभी 90 सीटों पर 5 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे जबकि नतीजों की घोषणा 8 अक्टूबर को होगी। इस दिन सभी दलों के प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला हो जाएगा।

इस बार चुनाव प्रचार का अभियान लंबा चला। पहले 1 अक्टूबर को ही वोटिंग होनी थी लेकिन निर्वाचन आयोग की ओर से तारीख बढ़ाकर 5 अक्टूबर किए जाने के बाद सभी प्रत्याशियों और उनके स्टार प्रचारकों को लोगों के बीच जाने का काफी वक्त मिला।

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1028 उम्मीदवार मैदान में
हरियाणा विधानसभा चुनाव में इस बार कुल 1028 उम्मीदवार मैदान में हैं। प्रदेश में बीजेपी, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, जेजेपी, आईएनएलडी और उनके सहयोगी मुख्य तौर से चुनाव मैदान में हैं।

हरियाणा में विधानसभा चुनाव को लेकर INDIA गठबंधन के घटक दल आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस के साथ तालमेल नहीं बैठ पाई और दोनों पार्टियां अलग-अलग चुनाव में उतरी है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने AAP के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था।

हरियाणा में कई हाईप्रोफाइल सीट
हरियाणा में कई हाईप्रोफाइल सीट हैं, जहां पार्टियों के दिग्गज नेता चुनाव मैदान में उतरे हैं। लाडवा सीट से प्रदेश के मुख्यमंत्री नायब सैनी चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट पर उनका मुकाबला कांग्रेस के मौजूदा विधायक मेवा सिंह से होगा।

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अंबाला कैंट से बीजेपी नेता और पूर्व मंत्री चुनाव मैदान में उतरे हैं। इस सीट पर कांग्रेस की बागी चित्रा सरवारा भी चुनाव लड़ रही हैं। कांग्रेस ने परविंदर सिंह पारी को चुनावी मैदान में उतारा है। 

छोटे दलों की होगी महत्वपूर्ण भूमिका
राजनीतिक पंडितों की माने तो  मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा में ही दिख रहा है।  फिर भी इनकी हार-जीत में जेजेपी-एएसपी, इनेलो-बसपा गठबंधनों के साथ आप और निर्दलीय उम्मीदवार भी अहम भूमिका निभा सकते हैं। 

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