Goa: महादयी जल विवाद पर अमित शाह से मिला गोवा का प्रतिनिधिमंडल

डीएन ब्यूरो

मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के नेतृत्व में गोवा सरकार के एक प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर तत्काल एक जल प्रबंधन प्राधिकरण के गठन का आग्रह किया, ताकि महादयी नदी के पानी का बहाव मोड़ने के मुद्दे को हल किया जा सके। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

अमित शाह से मिला गोवा का प्रतिनिधिमंडल
अमित शाह से मिला गोवा का प्रतिनिधिमंडल


पणजी: मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के नेतृत्व में गोवा सरकार के एक प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर तत्काल एक जल प्रबंधन प्राधिकरण के गठन का आग्रह किया, ताकि महादयी नदी के पानी का बहाव मोड़ने के मुद्दे को हल किया जा सके।

गोवा सरकार ने महादयी नदी पर दो बांध बनाने के लिए कर्नाटक द्वारा प्रस्तुत विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) को मंजूरी देने के केंद्रीय जल आयोग के फैसले पर आपत्ति भी जताई।

कर्नाटक द्वारा महादयी की सहायक नदियों कलसा और बंडुरी पर बांध के निर्माण के जरिये उसके बहाव का रुख अपनी तरफ मोड़ने की योजना को लेकर गोवा और कर्नाटक में विवाद गहरा गया है।

गोवा सरकार ने तर्क दिया है कि कर्नाटक महादयी नदी के पानी का बहाव मोड़ नहीं सकता है, क्योंकि यह महादयी वन्यजीव अभयारण्य से होकर गुजरती है, जो उत्तरी गोवा में निचले इलाके की ओर स्थित है।

केंद्र ने हाल ही में दो बांधों के निर्माण के लिए कर्नाटक द्वारा प्रस्तुत डीपीआर को मंजूरी दी थी।

मुख्यमंत्री सावंत के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को नयी दिल्ली में इस सिलसिले में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की।

मुलाकात के बाद सावंत ने ट्वीट किया, “महादयी जल विवाद पर गोवा सरकार के प्रतिनिधिमंडल ने आज नयी दिल्ली में माननीय गृह मंत्री श्री अमित शाह जी से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने जल बंटवारे से जुड़े विवाद के समाधान के लिए महादयी जल प्रबंधन प्राधिकरण के तत्काल गठन और सीडब्ल्यूसी द्वारा स्वीकृत डीपीआर को वापस लेने का आग्रह किया।”

प्रतिनिधिमंडल में केंद्रीय मंत्री और उत्तरी गोवा के सांसद श्रीपद नाइक, राज्यसभा सदस्य विनय तेंदुलकर, राज्य के जल संसाधन विभाग के मंत्री सुभाष शिरोडकर, वन मंत्री विश्वजीत राणे, विधानसभा अध्यक्ष रमेश तावडकर और अन्य नेता शामिल थे।

गोवा, कर्नाटक और महाराष्ट्र ने महादयी नदी के पानी के बंटवारे पर अंतर-राज्यीय जल विवाद न्यायाधिकरण द्वारा 2019 में दिए गए फैसले को चुनौती दी है। मामला अभी उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है।










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