UP में IFoS Renu Singh के नेतृत्व में चल रहा रहमानखेड़ा टाइगर रेसक्यू ऑपरेशन, जानिये इस अभियान के बारे में
राजधानी लखनऊ में काकोरी क्षेत्र के रहमानखेड़ा में इन दिनों वन विभाग की कई टीमों ने डेरा डाला हुआ है। यहां सीनियर IFoS अधिकारी रेनू सिंह के नेतृत्व में एक खास अभियान चलाया जा रहा है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज की पूरी रिपोर्ट
लखनऊ: राजधानी लखनऊ से 22 किलोमीटर दूर काकोरी में स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से जुड़े केंद्रीय बागवानी संस्थान, रहमानखेड़ा में इन दिनों वन विभाग की कई टीमें दिन-रात डेरा डाले हुए हैं। दरअसल, यहां कुछ नील गायों को मारने के बाद से एक बाघ ने दहशत मचायी हुई है। जिसके बाद से यहां इस बाघ को काबू करने के लिये लगातार रेसक्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है।
इस ऑपरेशन को रहमानखेड़ा टाइगर रेसक्यू ऑपरेशन 2024-25 (Rehamankhera Tiger Rescue Operation) नाम दिया गया है।
भारतीय वन सेवा की सीनियर अधिकारी और एपीसीसीएफ/सीसीएफ लखनऊ जोन, डॉ रेनू सिंह रहमानखेड़ा में चलाये जा रहे इस बाघ बचाव अभियान का नेतृत्व कर रहीं हैं।
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डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के मुताबिक सबसे पहले 3 दिसंबर 2024 को रहमानखेड़ा में बाघ की गतिविधियों की जानकारी मिली थी। अगल दिन वन विभाग ने बाघ का पता लगाने के लिये रेंज स्तर पर एक टीम का गठन किया गया और बाघ की गतिविधियों को ट्रैक करने का काम शुरू हुआ।
रहमानखेड़ा संस्थान के अंदर 12 दिसंबर को बाघ ने एक नीलगाय को मारा और नीलगाय को 90 फीसदी तक खा डाला। इसके बाद बाघ ने 17 दिसंबर को नीलगाय के बछड़े को मारा। बाघ का आतंक जारी रहा और 23, 25 और 28 दिसंबर को अलग-अलग जानवरों को बाघ ने अपना शिकार बनाया।
सीनियर आईएफएस (IFoS) अधिकारी रेनू सिंह ने डाइनामाइट न्यूज़ से बातचीत में कहा कि रहमानखेड़ा में बाघ की सक्रियता के बाद अब कई स्तरों पर टीम का गठन किया गया है। बाघ को सुरक्षित पकड़ने के लिये तीन अलग-अलग जोन बनाये गये हैं और उनमें मचान के साथ ही अलग-अलग तकनीक से बाघ को ट्रैक किया जा रहा है।
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रेनू सिंह ने बताया कि यहां डॉक्टरों की टीम भी लगाई गई है। डॉक्टरों की टीम स्टरलाइजेशन करके बाघ को बेहोश करेगी, जिसके बाद बाघ को सुरक्षित पकड़ लिया जायेगा। उन्होंने कहा कि हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता है कि बाघ आगे और जानमाल का नुकसान न करे।
उन्होंने बताया कि रेसक्यू ऑपरेशन के लिये दुधवा टाइगर रिजर्व से डॉ. दयाशंकर, कानपुर चिड़ियाघर से डॉ. नितीश कटियार और डॉ. विनीत भी इस बचाव अभियान में शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि बाघ की गतिविधियों को ट्रैक करने के लिये रहमानखेड़ा के महत्वपूर्ण स्थानों व जंक्शनों पर 7 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, जिनसे प्राप्त लाइव फुटेज का हम लगातार आंकलन कर रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जतायी कि हम जल्द की बाघ को सुरक्षित पकड़ लेंगे।