Maha Kumbh: संगम नगरी में विदेशी संतों का आगाज, देखिए महाकुंभ की शानदार तस्वीरें

डीएन ब्यूरो

महाकुंभ में देश-विदेश से लाखों-करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचे हैं। वहीं, विदेशी संतों ने लोगों का ध्यान भी खीचां है। डाइनामाइट न्यूज़ में पढ़िए पूरी खबर।

सनातन धर्म के मुरीद हुए विदेशी
सनातन धर्म के मुरीद हुए विदेशी


प्रयागराज: सनातनी आस्था का महापर्व महाकुंभ की शुरुआत आज यानि सोमवार से शुरू हो चुकी है। यह महाकुंभ पूरे विश्व में चर्चाओं का केंद्र बना हुआ है। इसमें शामिल होने के लिए देश-विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु जुट रहे हैं। वहीं महाकुंभ में विदेशी संतों का आगाज हो गया है। महाकुंभ की आस्‍था में विदेशी भी सराबोर हो गए हैं। 

महाकुंभ में विदेशी संतों का आगाज

संगम नगरी प्रयागराज में पूरी भव्यता के साथ महाकुंभ शुरू हो चुका है। आज 13 जनवरी 2025 यानी सोमवार को महाकुंभ का प्रथम शाही स्नान है। संगम तट पर महीनेभर पहले से ही, दूधिया लाइट में बड़े-बड़े तंबू, नागा साधुओं और संतों का जमावड़ा देखने को मिल रहा है।

कुंभ को दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक मेले में से एक माना जाता है। वहीं कुंभ में विदेशी संतों का आगाज हो गया है। सनातनी वेश-भूषा और माथे पर तिलक लगाए प्रयागराज में दिख रहे हैं। 

सनातनी वेश-भूषा में दिखें विदेशी

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महाकुंभ में शामिल होने के लिए प्रयागराज पहुंचे विदेशी संतों ने सुर्खियां बटोरनी शुरू कर दी है। यह विदेशी संत नारंगी चोला ओढ़े, माथे पर तिलक और हाथ में जाप माला लेकर प्रयागाज की गलियों में घूमते नजर आ  रहे हैं। यहां दी गई वीडियों में आप देख सकते हैं कि कैसे बाबा के रूप में विदेशी लोगों पर फूल फेंकते नजर आ  रहे हैं। तो कुछ भगवान की तपस्या में लीन है। इन तस्वीरों ने करोड़ों लोगों का दिल जीत लिया है।

144 साल में आया शुभ संयोग

इस बार का महाकुंभ खास माना जा रहा है क्योंकि 144 साल बाद एक दुर्लभ संयोग बनने जा रहा है जिसका संबंध समुद्र मंथन से माना जाता है, जिसके दौरान देवताओं और राक्षसों ने अमृत के लिए संघर्ष किया था।

इस दिन सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति ग्रहों की शुभ स्थिति बन रही है जो कि उस समय समुद्र मंथन के दौरान भी बनी थी। साथ ही, महाकुंभ पर रवि योग का निर्माण होने जा रहा है।

रवि योग आज सुबह 7 बजकर 15 मिनट से होकर और 10 बजकर 38 मिनट पर इसका समापन होगा। इसी दिन भद्रावास योग का भी संयोग बन रहा है और इस योग में भगवान विष्णु की पूजा करना विशेष फलदायी माना जाता है।

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बता दें कि विपरीत विचारों, मतों, संस्कृतियों, परंपराओं स्वरूपों का गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी के तट पर महामिलन 45 दिन तक चलेगा। इस अमृतमयी महाकुंभ में देश-दुनिया से 45 करोड़ श्रद्धालुओं, संतों-भक्तों, कल्पवासियों और अतिथियों के डुबकी लगाने का अनुमान है।

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