Kisan Andolan: आंदोलनकारी किसान 26 जनवरी को तिरंगे के साथ दिल्ली में निकालेंगे परेड, जानिये पूरी रणनीति

डीएन संवाददाता

सरकार के नये कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों ने भी 26 जनवरी को तिरंगे के साथ राजधानी दिल्ली में परेड निकालने का ऐलान किया है। डाइनामाइट न्यूज रिपोर्ट

किसानों के आंदोलन को दो माह होने वाले है पूरे
किसानों के आंदोलन को दो माह होने वाले है पूरे


नई दिल्ली: सरकार के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 53 दिनों से दिल्ली-एनसीआर के कई बॉर्डर्स पर किसानों का प्रदर्शन जारी है। आंदोलनकारी किसानों ने अब सरकार पर दबाव बनाने और अपनी बात को प्रभावी तरीके से करने के लिये 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली में तिरंगे के साथ परेड निकालने का ऐलान किया है। किसानों का कहना है कि देश के जवानों के साथ वे भी गणतंत्र दिवस पर शांतिपूर्ण तरीके से परेड निकालेंगे। किसान संगठन रिंग रोड पर 50 KM तक ट्रैक्टर परेड निकालेंगे। 

किसान संगठनों ने रविवार शाम को कहा कि तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ हम 26 जनवरी को दिल्ली के आउटर रिंग रोड पर परेड करेंगे। इस परेड को शांतिपूर्वक तरीके से निकाला जायेगा। इससे किसी भी तरह से शांति को बाधित करने की को कोशिश नहीं की जायेगा। दिल्ली के आउटर रिंग रोड पर तिरंगे के साथ परेड की जाएगी। किसान शांतिपूर्ण ढंग से परेड करेंगे। किसानों ने उम्मीद जताई कि दिल्ली और हरिणाया सरकार इस परेड पर रोक नहीं लगाएगी। 

किसान संगठनों ने कुछ किसान नेताओं को NIA से समन भेजे जाने की निंदा की है। किसान संगठनों का कहना है कि केंद्र सरकार अत्याचार कर रही है। सरकार ने किसानों का दमन शुरू कर दिया है। केंद्रीय कृषि मंत्री NIA मामले में देखने की बात कही थी। उनके आश्वशन के बाद भी NIA ने समन भेज रही है।

इससे पहले भारत किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने रविवार को कहा है कि दिल्ली की सीमा पर देश के लाखों किसान आंदोलन कर रहे हैं। ऐसे में सरकार को कृषि कानूनों को वापस लेना ही पड़ेगा और जब तक किसान इन नये कानूनों को पावस नहीं लेती तब तक किसान अपनी मांगों से पीछे नहीं हटेंगे।

राकेत टिकैत ने यह भी कहा कि किसान सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित कमेटी के सामने नहीं जाएंगे और सरकार को कृषि कानून वापस लेना ही पड़ेगा। राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों का प्रदर्शन जारी रहेगा। 

इस बीच केंद्रीय कृषि मंत्री का एक बयान भी सामने आया है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि हमने किसान संगठनों को एक प्रस्ताव भेजा था जिसमें हम उनकी मंडी से जुड़ी समस्याओं, व्यापारियों के पंजीकरण और दूसरे मुद्दों पर चर्चा के लिए राजी हो गए थे, सरकार पराली और बिजली से जुड़ी समस्याओं पर भी चर्चा करने को तैयार थी, लेकिन किसान सिर्फ कानून को रद्द कराना चाहते हैं, लेकिन ज्यादातर किसान और विशेषज्ञ कृषि कानूनों के पक्ष में हैं।

कृषि मंत्री ने यह भी कहा कि अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कानून को लागू नहीं किया जा सकता है। अब हमें उम्मीद है कि 19 जनवरी को किसान बिंदूवार चर्चा करें और सरकार को बताएं कि कृषि कानून रद्द करने के अलावा वे और क्या चाहते हैं? 










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