धर्मेन्द्र प्रधान बोले, सरकार गरीबों के कल्याण और जनजातीयों के संरक्षण के प्रति प्रतिबद्ध

डीएन ब्यूरो

शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने लोकसभा में बृहस्पतिवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार गरीबों के कल्याण और जनजातियों के संरक्षण के प्रति प्रतिबद्ध है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान
शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान


नयी दिल्ली:  शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने लोकसभा में बृहस्पतिवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार गरीबों के कल्याण और जनजातियों के संरक्षण के प्रति प्रतिबद्ध है।

डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार प्रधान ने जनजातियों और आदिवासियों के कल्याण के प्रति कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकारों की उदासीनता का जिक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस ने केंद्र और विभिन्न राज्यों में लंबे समय तक शासन किया लेकिन उसने मामूली विसंगितयों को दूर करना भी गवारा नहीं समझा।

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उन्होंने ‘संविधान (अनुसूचित जातियां एवं जनजातियां) आदेश (संशोधन) विधेयक 2024’ और ‘संविधान (अनुसूचित जनजातियां) आदेश (संशोधन) विधेयक 2024’ पर संयुक्त चर्चा के दौरान कांग्रेस सदस्य सप्तगिरि शंकर उलाका के वक्तव्य पर हस्तक्षेप करते हुए कहा कि आज जो विसंगतियां दूर करने के लिए यह विधेयक लाया गया है वे 1979 से मौजूद थीं।

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प्रधान ने कहा ‘‘ इस बीच कांग्रेस की सरकारें केंद्र और राज्यों में बनीं लेकिन इसे दूर नहीं किया जा सका। इस बारे में सबसे पहले संशोधन तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया और अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कर रहे हैं।’’

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उन्होंने कहा, ‘‘आपने (कांग्रेस ने) केवल भाषण दिये, जनजातीय भावनाओं को भुनाया और राजनीति की। जनजातीय के कल्याण के लिए पहली बार वाजपेयी ने और अब मोदी ने उनके कल्याण के बारे में सोचा।’’

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार चरणबद्ध तरीके से निदान निकालती है। उन्होंने कहा, ‘‘हम सर्वस्पर्शी एवं सर्व समावेशी सरकार चलाते हैं और सरकार ने जनजातीय कल्याण के बजट तिगुना कर दिया है।’’

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इससे पहले जनजातीय मामलों की मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने दोनों विधेयकों को चर्चा और पारित किये जाने के लिए सदन में पेश किया।

इन विधेयकों में ओडिशा में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की सूची तथा आंध्र प्रदेश में अनुसूचित जनजातियों की सूची में कुछ जातियों और उपजातियों को शामिल करने के प्रावधान हैं।










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