Smartphones And Children: बच्चों को इस तरह रखें स्मार्टफोन से दूर, छूटेगी मोबाइल की बुरी लत, जानिये जरूरी टिप्स

डीएन ब्यूरो

स्मार्टफोन आज हर आदमी की जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका हैं लेकिन जब बात स्मार्टफोन और बच्चों की आती है तो हर अभिभावक चिंतित होने लगता है। क्योंकि बच्चों में स्मार्टफोन की आदत बढ़ती जा रही है। डाइनामाइट न्यूज़ की इस रिपोर्ट में जानिये बच्चों को स्मार्टफोन से दूर रखने के जरूरी टिप्स

बच्चों में स्मार्टफोन की लत घातक, हर अभिभावक परेशान
बच्चों में स्मार्टफोन की लत घातक, हर अभिभावक परेशान


नई दिल्ली: अगर हम अपने बच्चों को मोबाइल या टेबलेट दे रहे हैं तो यह हमारे सामने बहुत बड़े खतरे की घंटी है। बच्चों को स्मार्टफोन देने और मोबाइल की लत की कहानी वास्तव में कोरोना महामारी से शुरू हुई। कोविड-19 से पहले स्कूल में फिजीकल क्लासेस का चलन था लेकिन कोविड-19 में लॉकडाउन में ऑनलाइन स्कूली शिक्षा-दीक्षा को जारी रखने के लिए मोबाइल बच्चों की अहम जरूरत बनी लेकिन अब यह लत में तब्दील होने लगा है। डाइनामाइट न्यूज़ की इस रिपोर्ट में पढ़िये बच्चों में स्मार्टफोन के दुष्प्रभाव और इससे निजात पाने के तरीके।

हम सभी जानते हैं कि कोरोना महामारी के दौरान स्कूल की क्लास हो या गेम्स, सब कुछ ऑनलाइन ही होता था, जिससे बच्चों में मोबाइल का इस्तेमाल बढ़कर 100 प्रतिशत हो गया है। उस समय बच्चे घर की दीवारों मै बंद हो गए थे और मोबाइल मजबूरी। लेकिन अब हालात धीरे-धीरे बदल रहे हैं। इसलिये अब मोबाइल की लत से बच्चों को छुटकारा दिलाना जरूरी है।

मोबाइल दुनिया की सबसे जरुरी वस्तु नहीं
हर अभिभावक को अपने बच्चों को समझना होगा की मोबाइल दुनिया की सबसे जरुरी वस्तु नहीं है। यह सिर्फ हमारे लिये एक उपकरण है। यह उपयोगी है लेकिन अनिवार्य नहीं। इसकी लत बच्चों को पूरी तरह बिगाड़ भी सकती है। इससे बच्चों के व्यवहार और सेहत पर भी प्रभाव पड़ता है।

यह भी पढ़ें | महराजगंजः सिंदुरिया चौक से गायब हुए दो बच्चे, पुलिस में मचा हड़कंप, जानें पूरा अपडेट

सर्वे के चौंकाने वाले नतीजे
दुनिया में मोबाइल के इस्तेमाल को लेकर हुए हाल के कुछ सर्वे के नतीजों के परिणाम बेहद चौंकाने वाले है। जो बच्चे स्मार्टफोन का किसी भी रूप मे इस्तमाल (वीडियो देखने या गाना सुनने) करते हैं, वे अन्य बच्चो की तुलना में देर से बोलना शुरू करते है।

स्मार्टफोन देना एक ग्राम कोकीन के बराबर!
दुनिया की जानी-मानी एडिक्शन थेरैपिस्ट मैंडी सालिगरी ने तो यहाँ तक कहा है कि बच्चों को स्मार्टफोन देना एक ग्राम कोकीन के बराबर है। यदि हम चाहते है कि बच्चे खुलकर खिले तो हमें उनको मोबाइल से दूर रखना होगा। उन्हें एक तरह से आजाद करना होगा। हम घर पर बात करने के लिये  लैंड लाइन का इस्तमाल कर सकते है। मोबाइल को बच्चों से छिपाकर उन्हें रोक सकते है।

यह भी पढ़ें | सीबीएसई बोर्ड परीक्षा परिणाम में कोल्हुई क्षेत्र के बच्चों ने लहराया परचम

बच्चों को इन एक्टिविटी में इंवॉल्व करें
बच्‍चों को मोबाइल से दूर रखने का सबसे अच्‍छा उपाय है कि उन्‍हें आउटडोर गेम या एक्टिविटी में इंवॉल्व करें। आप उन्‍हें बाहर खेलने, साइकिल चलाने, गार्डनिंग  आदि के लिए भी मोटिवेट कर सकते हैं। किताबों में उनकी रुचि जगाएं। उनमें रीडिंग की आदत डालें। उनके साथ समय बिताएं। लूडो, केरम, शतरंज जैसे कई खेल उनके साथ खेल सकते हैं। 

इन बच्चों को हरगिज न दें फोन
हर अभिभावक के लिये सबसे जरुरी बात यह है कि वे गलती से भी 6 महीने से लेकर 2  साल तक के बच्चों को स्मार्टफोन हरगिज न दें।










संबंधित समाचार