दिल्ली हाई कोर्ट ने 'संतानहीन जोड़ों' को सरोगेसी से बाहर करने को लेकर केंद्र को नोटिस जारी किया

डीएन ब्यूरो

दिल्ली उच्च न्यायालय ने सरोगेसी (किराए की कोख) लाभ के दायरे से संतानहीन जोड़ों को बाहर किए जाने को चुनौती देने वाली एक याचिका पर मंगलवार को केंद्र से अपना रुख बताने को कहा।पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

संतानहीन जोड़ों
संतानहीन जोड़ों


नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने सरोगेसी (किराए की कोख) लाभ के दायरे से 'संतानहीन जोड़ों' को बाहर किए जाने को चुनौती देने वाली एक याचिका पर मंगलवार को केंद्र से अपना रुख बताने को कहा।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने सरोगेसी कानून में संशोधन से प्रभावित एक विवाहित जोड़े की याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया।

दंपति ने अपनी याचिका में कहा कि केंद्र की 14 मार्च की अधिसूचना से पहले वे एक सरोगेट की तलाश कर रहे थे क्योंकि पत्नी संतान पैदा नहीं कर सकती थी, लेकिन अब उन्हें हमेशा के लिए पितृत्व के अधिकार से वंचित कर दिया गया है और उनका निषेचित भ्रूण 'कानूनी रूप से अव्यवहार्य' हो गया है।

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उस अधिसूचना के जरिए सरोगेसी (विनियमन) नियमावली, 2022 में संशोधन किया गया है।

याचिका में कहा गया है कि 'प्रतिबंधात्मक शर्त' से संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है, वहीं यह याचिकाकर्ताओं को पूर्ण पारिवारिक जीवन के बुनियादी नागरिक और मानव अधिकार से वंचित करती है।

याचिका में दलील दी गई है कि इस संशोधन से वैध सरोगेसी को गैरकानूनी करार दे दिया गया है और अगर याचिकाकर्ता इस चरण में सरोगेसी के साथ आगे बढ़ते हैं तो आपराधिक मुकदमे की आशंका है। इस मामले में अगली सुनवाई अगस्त में होगी।

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