दिल्ली हाई कोर्ट ने भलस्वा पुनर्वास कॉलोनी में नियमित पेयजल आपूर्ति पर डीजेबी को दिये ये बड़े आदेश

डीएन ब्यूरो

दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) को यहां एक लैंडफिल (कूड़े के पहाड़) के पास स्थित भलस्वा पुनर्वास कॉलोनी के निवासियों को पेयजल की नियमित आपूर्ति करने के निर्देश दिए हैं। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

दिल्ली हाई कोर्ट
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नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) को यहां एक लैंडफिल (कूड़े के पहाड़) के पास स्थित भलस्वा पुनर्वास कॉलोनी के निवासियों को पेयजल की नियमित आपूर्ति करने के निर्देश दिए हैं।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरुला की पीठ ने डीजेबी की ओर से पेश वकील को मामले में विस्तृत स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है।

पीठ ने कहा, ‘‘इस बीच, डीजेबी यह सुनिश्चित करे कि भलस्वा पुनर्वास कॉलोनी को स्वच्छ पेयजल की नियमित आपूर्ति हो।’’

उच्च न्यायालय लैंडफिल के पास स्थित भलस्वा पुनर्वास कॉलोनी के निवासियों को साफ-सफाई, पेयजल, स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाओं समेत मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने का अनुरोध करने वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है। इस कूड़े के पहाड़ के कारण पूरा इलाका प्रदूषित है।

अदालत ने पूर्व में इस याचिका पर दिल्ली सरकार, नगर निगम, डीजेबी, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) और अन्य प्राधिकारियों से जवाब मांगा था।

याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई के दौरान डीजेबी के वकील ने कहा कि बोर्ड ने कॉलोनी में ताजा पेयजल की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित की है और अगर पाइपलाइन से जल आपूर्ति में कोई बाधा आती है तो वह जरूरत पड़ने पर इलाके में पानी के टैंकर भेजता है।

उच्च न्यायालय ने एनएचआरसी और अन्य प्राधिकारियों को भी याचिका पर जवाब देने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है।

याचिका में दावा किया गया है कि इलाके के निवासी दूषित जल पीने और खराब माहौल में रहने के लिए मजबूर हैं जिसके कारण वे त्वचा रोग तथा अन्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं।

भलस्वा पुनर्वास कॉलोनी उत्तर-पश्चिमी दिल्ली में भलस्वा लैंडफिल के पास स्थित है तथा इस कॉलोनी में करीब 20,000 लोग रहते हैं।

दिल्ली निवासी याचिकाकर्ता पुष्पा ने आरोप लगाया है कि प्राधिकारी अपने कानूनी कर्तव्य को नजरअंदाज कर रहे हैं जिसके कारण कई लोगों और शिशुओं समेत बच्चों की मौत हुई है।

याचिका में दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग तथा भूमि और भवन विभाग को इलाके में 12वीं कक्षा तक का एक स्कूल बनाने का भी निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।










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