दिल्ली हाई कोर्ट ने बाढ़ पीड़ितों को राहत पहुंचाने के लिए सरकार को दिये ये बड़े निर्देश

डीएन ब्यूरो

दिल्ली सरकार ने सोमवार को उच्च न्यायालय में कहा कि उसने इस महीने युमना नदी में आई बाढ़ से प्रभावित परिवारों को राहत पहुंचाने के लिए कदम उठाए हैं। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

बाढ़ पीड़ितों को राहत पहुंचाने के लिए कदम उठाए
बाढ़ पीड़ितों को राहत पहुंचाने के लिए कदम उठाए


नयी दिल्ली: दिल्ली सरकार ने सोमवार को उच्च न्यायालय में कहा कि उसने इस महीने युमना नदी में आई बाढ़ से प्रभावित परिवारों को राहत पहुंचाने के लिए कदम उठाए हैं।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार दिल्ली सरकार के वकील ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहे मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा कि मंत्रिमंडल ने प्रत्येक प्रभावित परिवार को 10 हजार रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करने का फैसला किया है और उन्हें आश्रय भी मुहैया किया गया है।

याचिका में, राहत शिविरों में रह रहे बाढ़ पीड़ितों को मुफ्त राशन, चिकित्सा सहायता आदि मुहैया कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया है।

मामले की सुनवाई कर रही पीठ में न्यायमूर्ति सौरभ बनर्जी भी शामिल हैं।

पीठ ने सरकार को इस मुद्दे पर स्थिति रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया और सुनवाई 13 सितंबर के लिए सूचीबद्ध कर दी।

दिल्ली सरकार की ओर से अदालत में पेश हुए सरकारी वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने याचिका पर ‘गंभीर आपत्ति’ जताते हुए कहा कि इसे प्रक्रिया का पालन किये बगैर या पहले अधिकारियों से संपर्क किये बिना दायर किया गया तथा ‘‘इसमें यह प्रदर्शित किया गया है कि कुछ नहीं किया गया’’।

सरकार की ओर से अधिवक्ता अरुण पंवार भी अदालत में उपस्थित हुए।

हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और हरियाणा सहित यमुना के जल संग्रह क्षेत्र में हुई बारिश की वजह से इस महीने नदी का जलस्तर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था।

यमुना का जलस्तर सितंबर 1978 के पिछले रिकॉर्ड 207.49 मीटर को पीछे छोड़ 13 जुलाई को 208.66 मीटर तक पहुंच गया। इस वजह से चार दशकों में पहली बार शहर के अंदरूनी इलाकों तक नदी का पानी पहुंच गया था।

अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के पूर्व सहायक प्राध्यापक एवं याचिकाकर्ता आकाश भट्टाचार्य ने अपनी अर्जी में कहा कि करीब 25 हजार लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं और वे स्वच्छता सुविधा एवं भोजन की पर्याप्त व्यवस्था के बिना राहत शिविरों में रह रहे हैं।

अधिवक्ता के आर शियस के जरिये दायर याचिका में कहा गया है कि अभूतपूर्व बाढ़ से यमुना के बाढ़ के मैदान में रह रहे सैकड़ों लोग बेघर हो गए हैं और कई मकान जलमग्न हो गए हैं।

याचिका में दावा किया गया है,‘‘ चिंताजनक और अभूतपूर्व स्थिति में राष्ट्रीय राजधानी का प्रशासन यहां के सैकड़ों लोगों की जिंदगी और उनकी आजीविका को बचाने में असफल रहा।’’

याचिका में अदालत से अनुरोध किया गया है कि वह दिल्ली सरकार को बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत प्राकृतिक आपदा घोषित करने का निर्देश दे।










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