Kisan Andolan: कृषि मंत्री से मिला किसानों का एक डेलिगेशन, कानून के समर्थन में पत्र, सरकार की चिट्ठी, जानिये ताजा अपडेट

डीएन ब्यूरो

कृषि कानूनों के खिलाफ जारी आंदोलन के बीच 60 किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल ने आज केंद्रीय कृषि मंत्री के साथ बैठक की। इस बीच सरकार ने किसानों को एक और पत्र लिखा है। पढिये, किसान आंदोलन से जुड़ा ताजा अपडेट

कृषि भवन में नरेंद्र तोमर संग बैठक करते किसान
कृषि भवन में नरेंद्र तोमर संग बैठक करते किसान


नई दिल्ली: नये कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन आज गुरूवार को 29वें दिन भी जारी रहा। सिंघू बॉर्डर समेत दिल्ली से लगी कई सीमाओं पर किसानों का धरना-प्रदर्शन लगातार जारी है। किसानों के आंदोलन के बीच सरकार की ओर से किसानों को एक और चिट्ठी लिखी गई है। कृषि मंत्रालय की चिट्ठी में कहा गया है कि सरकार किसानों की हर मांग पर चर्चा करने के लिए तैयार है। आंदोलन और सरकार की इस पहल के बीच 60 किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल ने आज केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से बैठक कर बातचीत की। बताया जाता है कि यह बातचीत बैहद सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई।

किसान मजदूर संघ, बागपत से जुड़ा किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल गुरूवार को दिल्ली पहुंचा, जहां वे कृषि भवन में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मिले। इन किसानों ने कृषि मंत्री को नये कृषि कानूनों के समर्थन में एक पत्र भी सौंपा, जिसकी जानकारी बाद में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मीडिया में आकर दी। तोमर ने यह भी कहा कि किसानों ने इस नये कानून को सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण बताया और सरकार को सुझाव दिया कि वह किसी के भी दबाव में आकर न झुके।

इससे पहले सरकार ने आज फिर एक बार आंदोलनकारी किसानों को एक चिट्ठी लिखी, जिसमें बातचीत से मामले को सुलझाने की अपील की गयी। कृषि मंत्रालय द्वारा लिखी गई चिट्ठी में कहा गया है कि सरकार किसानों की हर मांग पर चर्चा करने के लिए तैयार है. सरकार ने साफ तौर पर कहा है कि अभी भी बातचीत के रास्ते खुले हुए हैं। कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने भी कहा कि उनको हमने लिखित रूप से पत्र में भेजा है, जिसमें हमने कहा कि सरकार के साथ बातचीत का हर रास्ता किसानों के लिये खुला हुआ है। सरकार का प्रयास है कि मामले का समाधान हो। 

कैलाश चौधरी ने कहा कि भारत सरकार का प्रयास है कि मामले का समाधान हो, वह बातचीत से ही हो सकता है और हुआ भी है। उन्होंने कहा कि किसान संगठनों की लंबे समय से जो मांगें थी उसी के अनुसार कानून पारित किया गया। हम तो यह चाहते हैं कि वार्ता हो और वार्ता के जरिए ही समाधान निकले।

 उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन को लेकर कांग्रेस, आम आदमी पार्टी या लेफ्ट दल राजनीति कर रहे हैं। देशभर के किसान समर्थन देने के लिए मंत्री के पास आ रहे हैं और वह यह भी कह रहे हैं कि यह कानून किसानों के हित में है अगर इसे वापस ले लिया तो वे आंदोलन करेंगे।

आंदोलनकारी किसान संगठनों की डिजिटल प्रेस कॉन्फ्रेंस

इन सबसे अलग आंदोलनकारी किसान संगठनों द्वारा गुरूवार को एक डिजिटल प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई। इसमें किसानों ने कहा कि मोदी सरकार ने सभी सरकारी संपत्ति को प्राइवेट हाथों में दे दिया है, कृषि के साथ भी यही किया जा रहा है। हम किसी संशोधन नहीं बल्कि कानून वापसी की मांग कर रहे हैं। सिर्फ MSP का विवाद नहीं है, कानूनों की भी बात है। कानून लागू होने से खेती का पूरा सिस्टम बदल जाएगा और किसानों को नुकसान होगा। 

किसानों ने इस मौके पर यह भी साफ किया कि किसी को भी आंदोलन के दौरान हिंसा नहीं करने दी जाएगी। हमारे  500 ग्रुप बने हुए हैं। हर किसी की रोज बैठक होती है। किसान संगठनों ने कहा कि हम अलग-अलग भाषाओं में अपने पैम्फ्लेट निकाल रहे हैं, लोगों को आंदोलन के बारे में बता रहे हैं। हमारी डिजिटल टीम भी अब सोशल मीडिया के जरिए लोगों का समर्थन जुटा रही है।










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