राहुल गांधी को मानहानि मामले में सजा पर कांग्रेस का हंगामा, मंत्री और विधायकों ने विधानसभा में की जमकर नारेबाजी

डीएन ब्यूरो

गुजरात की एक अदालत द्वारा कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मानहानि के मामले में बृहस्पतिवार को दो साल की सजा दिये जाने का विरोध जताते हुए कांग्रेस के मंत्रियों एवं विधायकों ने झारखंड विधानसभा में हंगामा किया और नारेबाजी की तथा इसे भाजपा की साजिश बताया ।

राहुल गांधी के सजा पर विधानसभा में हंगामा
राहुल गांधी के सजा पर विधानसभा में हंगामा


रांची: गुजरात की एक अदालत द्वारा कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मानहानि के मामले में बृहस्पतिवार को दो साल की सजा दिये जाने का विरोध जताते हुए कांग्रेस के मंत्रियों एवं विधायकों ने झारखंड विधानसभा में हंगामा किया और नारेबाजी की तथा इसे भाजपा की साजिश बताया ।

झारखंड विधानसभा में कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव ने इस मसले को उठाया और कहा कि एक ऐसे परिवार के खिलाफ साजिश रची गई जिसने देश में लोकतंत्र की बुनियाद कायम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

यादव ने कहा, ‘‘जवाहर लाल नेहरू का योगदान देश कभी नहीं भूल सकता है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ने देश के लिए अपनी कुर्बानी दी और अब राहुल गांधी देश के गरीबों की आवाज उठा रहे हैं तो उन्हें एक साजिश के तहत फंसाने की कोशिश की जा रही है।’’

भाजपा के खिलाफ नारेबाजी करते हुए सत्तापक्ष के कई अन्य विधायक भी अध्यक्ष के आसन के सामने आकर प्रदर्शन करने लगे। इस दौरान प्रदेश सरकार में कांग्रेस कोटे के मंत्री आलमगीर आलम, रामेश्वर उरांव, बन्ना गुप्ता और बादल पत्रलेख भी अध्यक्ष के आसन के सामने आकर नारेबाजी की ।

इस तरह सत्तापक्ष की ओर से सदन की कार्यवाही बाधित करने के विरोध में भाजपा के भी कई विधायक अध्यक्ष के आसन के सामने आ गए और कांग्रेस तथा राज्य सरकार विरोधी नारेबाजी करने लगे, जिस कारण सदन की कार्यवाही को भोजनावकाश के पहले दो बार स्थगित करना पड़ा।

बाद में कांग्रेस के समर्थन में झारखंड मुक्ति मोर्चा और राजद के मंत्री एवं विधायक भी अध्यक्ष के आसन के समीप प्रदर्शन में शामिल हो गये।

एक बार तो ऐसी स्थिति हो गयी कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को छोड़ कर राज्य सरकार के सभी मंत्री राहुल गांधी के पक्ष में अध्यक्ष के आसन के निकट पहुंच गये।

इससे पहले भी प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस विधायकों ने राहुल गांधी को सजा दिए जाने के खिलाफ प्रदर्शन किया । इस पर विधानसभा की कार्यवाही स्थगित होने के बाद सदन के बाहर पत्रकारों से बातचीत में कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी ने इस पूरे मामले को भाजपा की साजिश करार दिया।

अंसारी ने कहा कि राहुल गांधी से डरे भाजपा नेताओं को चूड़ियां पहन लेनी चाहिए, दूसरी ओर भाजपा विधायक एवं पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीपी सिंह ने कहा कि राहुल गांधी ने देशभर के मोदी समाज के लोगों का अपमान किया है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी हमेशा अनाप-शनाप बोलते रहते हैं। अत: इस मामले में उन्हें सजा मिलनी ही थी।

शहीद-ए-आजम भगत सिंह की शहादत दिवस पर उनकी वेशभूषा में सदन में पहुंचे कांग्रेस विधायक उमाशंकर अकेला ने कहा कि जिस तरह से अंग्रेजों ने भगत सिंह से डर कर आनन-फानन में उन्हें फांसी दे दी थी, उसी तरह से केंद्र की मौजूदा मोदी सरकार भी राहुल गांधी से डरी हुई है।

इस बीच, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बृहस्पतिवार को कहा कि गैर भाजपा सरकारों एवं नेताओं को षड्यंत्र का शिकार बनाया जा रहा है।

सोरेन ने ट्वीट किया, ‘‘न्यायिक व्यवस्था पर पूरा विश्वास रखते हुए भी मानहानि मामले में राहुल गांधीजी को सजा के निर्णय से असहमत हूं।''

सोरेन ने कहा, ''गैर-भाजपा सरकारों और नेताओं को षडयंत्र का शिकार बनाया जा रहा है। यह देश के लोकतंत्र और राजनीति के लिए चिंता का विषय है, लेकिन धनतंत्र के आगे जनतंत्र की कोई बिसात नहीं।''

उल्लेखनीय है कि बृहस्पतिवार को सूरत की एक अदालत ने राहुल गांधी को ‘मोदी उपनाम’ संबंधी टिप्पणी को लेकर 2019 में दर्ज आपराधिक मानहानि के एक मामले में दो साल के कारावास की सजा सुनाई।

अदालत ने हालांकि गांधी को जमानत भी दे दी तथा उनकी सजा के अमल पर 30 दिनों तक के लिए रोक लगा दी, ताकि कांग्रेस नेता फैसले को चुनौती दे सकें।

कारावास की सजा सुनाए जाते समय राहुल गांधी अदालत में मौजूद थे। उन्होंने बाद में इस मामले में प्रतिक्रिया देते हुए महात्मा गांधी की पंक्तियों को उद्धृत करते हुए कहा कि उनके लिए ‘सत्य ही भगवान’ हैं।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के वकील बाबू मंगुकिया ने बताया कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एच. एच. वर्मा की अदालत ने राहुल गांधी को सजा सुनाने के बाद उन्हें जमानत भी दे दी और उनकी सजा पर 30 दिन के लिये रोक लगा दी, ताकि कांग्रेस नेता उसके फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती दे सकें।

अदालत ने कांग्रेस नेता को भारतीय दंड संहिता की धाराओं 499 और 500 के तहत दोषी करार दिया, ये धाराएं मानहानि और उससे संबंधित सजा से जुड़ी हैं।

जनप्रतिनिधि कानून के अनुसार, दो साल या उससे अधिक समय के लिए कारावास की सजा पाने वाले व्यक्ति को ‘दोषसिद्धि की तारीख से’ अयोग्य घोषित किया जाएगा और वह सजा पूरी होने के बाद जनप्रतिनिधि बनने के लिए छह साल तक अयोग्य रहेगा।

कांग्रेस ने कहा कि पार्टी कानून के तहत लड़ाई लड़ेगी और अदालत के इस फैसले को गुजरात उच्च न्यायालय में चुनौती देगी।

गांधी ने फैसले के तुरंत बाद ट्वीट किया, ‘‘मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है। सत्य मेरा भगवान है, अहिंसा उसे पाने का साधन-- महात्मा गांधी।’’

गांधी के खिलाफ यह मामला उनकी उस टिप्पणी को लेकर दर्ज किया गया था, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कहा था, ‘‘सभी चोरों का समान उपनाम मोदी ही कैसे है।’’

राहुल गांधी की इस टिप्पणी के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने शिकायत दर्ज कराई थी।

वायनाड से लोकसभा सदस्य गांधी ने यह कथित टिप्पणी 2019 के आम चुनाव से पहले कर्नाटक के कोलार में आयोजित जनसभा में की थी।










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