Parliament Monsoon Session: मणिपुर हिंसा के खिलाफ संसद भवन में INDIA का प्रदर्शन, पीएम मोदी से इस मांग पर अड़े कांग्रेसी, जानिये बड़े अपडेट
नयी दिल्ली, 24 जुलाई (भाषा) कांग्रेस ने संसद के मानसून सत्र के तीसरे दिन की कार्यवाही आरंभ होने से पहले सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मणिपुर के विषय पर संसद के भीतर वक्तव्य देना चाहिए, क्योंकि इस समय पूर्वोत्तर का यह राज्य इसका इंतजार कर रहा है और पूरा देश उनकी ओर देख रहा है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नयी दिल्ली: कांग्रेस ने संसद के मानसून सत्र के तीसरे दिन की कार्यवाही आरंभ होने से पहले सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मणिपुर के विषय पर संसद के भीतर वक्तव्य देना चाहिए, क्योंकि इस समय पूर्वोत्तर का यह राज्य इसका इंतजार कर रहा है और पूरा देश उनकी ओर देख रहा है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की यह मांग भी है कि समाधान की सामूहिक इच्छा को व्यक्त करने के लिए सदन में चर्चा हो।
विपक्षी दल मणिपुर के विषय को लेकर सोमवार को संसद परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष विरोध-प्रदर्शन भी कर सकते हैं।
रमेश ने ट्वीट किया, “आज संसद के मानसून सत्र का तीसरा दिन है। ‘इंडिया’ की मांग स्पष्ट है। मणिपुर में तीन मई के बाद के भयावह घटनाक्रम पर प्रधानमंत्री को सदन में एक विस्तृत बयान देना चाहिए। उसके बाद हमारी पीड़ा, दुख और समाधान की सामूहिक इच्छा को व्यक्त करने के लिए चर्चा हो।”
उन्होंने आरोप लगाया, “यही उम्मीद है कि प्रधानमंत्री अपनी जिम्मेदारियों से भागने के लिए कोई ड्रामा नहीं करेंगे, जैसा कि वह ऐसे मौकों पर अक्सर करते हैं। इनकार करना, तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करना, ध्यान भटकाना और बदनाम करना उनकी आदत है।”
रमेश ने कहा, “क्या इस अवसर पर वह इनसे ऊपर उठेंगे? मणिपुर इंतजार कर रहा है। देश देख रहा है।”
मणिपुर के विषय पर हंगामे के कारण संसद के मानसून सत्र के पहले दो दिन में कोई प्रमुख विधायी कार्य नहीं हो सका।
मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाए जाने का वीडियो गत बुधवार को सामने आने के बाद राज्य के पहाड़ी क्षेत्र में तनाव व्याप्त हो गया। अधिकारियों ने बताया कि यह वीडियो चार मई का है।
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की बहुसंख्यक मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।