केंद्र ने केजरीवाल के आवास के संबंध में ‘अनियमितताओं’ का कैग ऑडिट शुरू किया, आप-भाजपा में तकरार

डीएन ब्यूरो

नई दिल्ली केंद्र सरकार ने दिल्ली के मुख्यमंत्री के आवास के पुनर्निर्माण में कथित अनियमितताओं के मामले में भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) द्वारा एक विशेष ऑडिट शुरू किया है। इस कदम के बाद सत्तारूढ़ दल आम आदमी पार्टी (आप) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच जुबानी जंग शुरू हो गई है।

केजरीवाल  (फाइल)
केजरीवाल (फाइल)


नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने दिल्ली के मुख्यमंत्री के आवास के पुनर्निर्माण में कथित अनियमितताओं के मामले में भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) द्वारा एक विशेष ऑडिट शुरू किया है। इस कदम के बाद सत्तारूढ़ दल आम आदमी पार्टी (आप) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच जुबानी जंग शुरू हो गई है।

उपराज्यपाल वी के सक्सेना के कार्यालय के अधिकारियों ने बताया कि गृह मंत्रालय ने उपराज्यपाल के 24 मई को प्राप्त एक पत्र पर गौर करने के बाद विशेष कैग ऑडिट की सिफारिश की है। पत्र में मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास के ‘‘पुनर्निर्माण’’ में ‘‘घोर और प्रथम दृष्टया वित्तीय अनियमितताओं’’ का उल्लेख किया गया था।

भाजपा ने इस कदम का स्वागत किया, वहीं आप ने तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए दावा किया कि कैग ऑडिट पिछले साल ही किया जा चुका है, जिसमें वित्तीय अनियमितताओं का कोई सबूत नहीं मिला। आप ने कहा कि इस कदम से भाजपा की हताशा का संकेत मिलता है क्योंकि उसे 2024 के आम चुनावों में हार का अंदेशा है।

भाजपा की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा, ‘‘कैग देश की सबसे प्रतिष्ठित लेखापरीक्षा संस्था है और इसकी जांच से जल्द पता चलेगा कि किसके दबाव में पीडब्ल्यूडी अधिकारियों ने कानूनों का उल्लंघन किया और मुख्यमंत्री के लिए आलीशान बंगले का निर्माण किया, जबकि वे केवल टाइप सात बंगले के पात्र थे।’’

इस बीच, कांग्रेस ने कहा कि पुनर्निर्माण पर ‘‘171 करोड़ रुपये के भारी खर्च’’ के मामले में विस्तृत आपराधिक जांच होनी चाहिए। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने ऑडिट कराए जाने की सिफारिश का स्वागत करते हुए कहा कि यह बहुत दुखद है कि जनता के पैसे का इस तरह से ‘शीशमहल’ बनाने में दुरुपयोग किया गया।

गृह मंत्रालय को 24 मई को लिखे अपने पत्र में, उप राज्यपाल सक्सेना ने कहा कि ‘‘कथित अनियमितताओं’’ को मीडिया ने उजागर किया था, जिसके बाद दिल्ली के मुख्य सचिव ने 27 अप्रैल और फिर 12 मई को एक तथ्यात्मक रिपोर्ट सौंपी थी।

उन्होंने कहा, रिपोर्ट में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) और दिल्ली सरकार द्वारा ‘‘मुख्यमंत्री आवास के पुनर्निर्माण के नाम पर नियमों, विनियमों और दिशानिर्देशों के उल्लंघन’’ का विवरण दिया गया है।

पत्र में कहा गया है, ‘‘शुरुआत में प्रस्ताव मुख्यमंत्री आवास में अतिरिक्त इमारत उपलब्ध कराने का था, हालांकि बाद में मौजूदा इमारत को ध्वस्त करने के बाद पूरी तरह से नए निर्माण के प्रस्ताव को मंत्री ने मंजूरी दे दी।’’

पत्र में कहा गया है कि निर्माण कार्य की शुरुआती लागत 15 से 20 करोड़ रुपये थी, जो समय-समय पर बढ़ती गई। पत्र में कहा गया है कि रिपोर्ट के अनुसार, अब तक कुल 52,71,24,570 रुपये (लगभग 53 करोड़ रुपये) खर्च किए गए हैं, जो शुरुआती अनुमान से तीन गुना से अधिक है।

आप ने एक तीखा बयान जारी कर केंद्र के कदम की निंदा की। आप ने कहा, ‘‘मोदी सरकार के इस कदम से हताशा का संकेत मिलता है क्योंकि भाजपा को 2024 के आम चुनावों में हार का अंदेशा है। जहां तक मुख्यमंत्री आवास के पुनर्निर्माण के संबंध में खर्चों की कैग से जांच की बात है, तो यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह पिछले साल ही की जा चुकी है, जिसमें वित्तीय अनियमितताओं का कोई सबूत नहीं मिला।’’

आप ने कहा कि कैग ऑडिट दोबारा शुरू करना भाजपा की ‘‘हताशा, सनक और निरंकुश प्रवृत्ति’’ का ‘‘स्पष्ट प्रतिबिंब’’ है। सत्तारूढ़ दल ने कहा कि भाजपा दिल्ली विधानसभा चुनावों में अपनी लगातार चुनावी हार से परेशान है। आप ने कहा कि कैग आडिट का कदम दिल्ली की ‘‘ईमानदार सरकार’’ की ‘‘प्रतिष्ठा’’ को धूमिल करने का एक प्रयास है।

आप ने कहा कि प्रतिशोध में भाजपा इस तरह के कार्यों के माध्यम से अपने पतन की शुरुआत कर रही है। आप ने भाजपा पर स्थापित सत्ता संरचना को कमजोर करने के गुप्त प्रयासों में शामिल होने का भी आरोप लगाया।

बयान में कहा गया, ‘‘कैग जांच कराना एक निर्वाचित सरकार का विशेषाधिकार है और दिल्ली सरकार के मामलों में हस्तक्षेप करके केंद्र सरकार संवैधानिक सिद्धांतों का उल्लंघन कर रही है।’’

पार्टी ने यह भी दावा किया कि ‘‘अडाणी से जुड़े बड़े घोटालों’’ से जनता का ध्यान हटाने के लिए यह कदम और ‘‘शराब कांड’’ जैसे ‘‘मनगढ़ंत आरोप’’ लगाए गए। आप ने कहा, ‘‘एक के बाद एक विपक्षी दलों के नेताओं को निशाना बनाने से भाजपा के अंतर्निहित एजेंडे का पता चलता है। अगर प्रधानमंत्री में वास्तव में साहस है तो उन्हें एक संयुक्त संसदीय समिति द्वारा अडाणी घोटाले की व्यापक जांच का आदेश देना चाहिए।’’

आप ने कहा, ‘‘इसके अलावा, कैग या अन्य केंद्रीय एजेंसियों को मध्य प्रदेश में व्यापमं घोटाले, अयोध्या राम मंदिर में चंदा (दान) घोटाले और असम के मुख्यमंत्री से जुड़े विभिन्न घोटालों की भी गहन जांच करनी चाहिए।’’

मुख्यमंत्री आवास के पुनर्निर्माण के मुद्दे पर पूर्व में राष्ट्रीय राजधानी में राजनीतिक घमासान छिड़ गया था और भाजपा ने मामले की जांच की मांग की थी। वहीं, आप ने कहा था कि आवास का निर्माण 1942 में हुआ था और यह पुराना, जीर्ण-शीर्ण ढांचा था।

 










संबंधित समाचार