हाई कोर्ट ने 32,000 शिक्षकों की नौकरियां रद्द करने के एकल पीठ के आदेश पर रोक लगाई

डीएन ब्यूरो

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा प्रायोजित एवं सहायता प्राप्त प्राथमिक विद्यालयों के लगभग 32,000 शिक्षकों की नौकरियां रद्द करने संबंधी आदेश पर शुक्रवार को सितंबर के अंत तक या अगला आदेश दिए जाने तक अंतरिम रोक लगा दी।

कलकत्ता हाई कोर्ट (फाइल फोटो)
कलकत्ता हाई कोर्ट (फाइल फोटो)


कोलकाता: कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा प्रायोजित एवं सहायता प्राप्त प्राथमिक विद्यालयों के लगभग 32,000 शिक्षकों की नौकरियां रद्द करने संबंधी आदेश पर शुक्रवार को सितंबर के अंत तक या अगला आदेश दिए जाने तक अंतरिम रोक लगा दी।

उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने 12 मई को लगभग 32,000 उन उम्मीदवारों की नियुक्ति रद्द करने का आदेश दिया था, जिन्होंने 2014 की शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) के आधार पर 2016 में एक चयन प्रक्रिया के माध्यम से प्राथमिक शिक्षकों के रूप में भर्ती होने के बाद प्रशिक्षण पूरा नहीं किया था।

न्यायमूर्ति सुब्रत तालुकदार और न्यायमूर्ति सुप्रतिम भट्टाचार्य की खंडपीठ ने कहा, ‘‘नौकरियां रद्द करने के आदेश पर सितंबर 2023 के अंत तक या अगला आदेश दिए जाने तक, जो भी पहले हो, अंतरिम रोक रहेगी।’’

यह भी पढ़ें | कलकत्ता हाई कोर्ट ने लगाई टीएमसी द्वारा भाजपा नेताओं के घरों का घेराव करने की योजना पर रोक, जानें मामला

पीठ ने पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड और कुछ प्रभावित शिक्षकों की याचिका पर अपना अंतरिम आदेश सुनाते हुए कहा कि प्रभावित पक्षों को अपना बचाव करने के अर्थपूर्ण अधिकार का मौका दिए बिना नौकरियां रद्द करने के फैसले में न्यायिक हस्तक्षेप की प्रथमदृष्ट्या आवश्यकता है।

हालांकि, खंडपीठ ने आदेश दिया कि बोर्ड तीन महीने के भीतर- अगस्त 2023 के अंत तक- एकल पीठ द्वारा निर्देशित चयन प्रक्रिया का संचालन करेगा।

न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की पीठ ने 12 मई को नियुक्तियां रद्द करने का आदेश देते हुए निर्देश दिया था कि बोर्ड भर्ती के समय अप्रशिक्षित रहे उम्मीदवारों के लिए तीन महीने के भीतर भर्ती प्रक्रिया की व्यवस्था करेगा, जिसमें इस दौरान प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले उम्मीदवार भी शामिल हैं।

यह भी पढ़ें | कलकत्ता हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने न्यायमूर्ति टी. एस. शिवगणनम, जानिये उनके बारे में

न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने निर्देश दिया था कि यह अवसर केवल उन लोगों के लिए उपलब्ध रहेगा, जिन्होंने 2016 की भर्ती प्रक्रिया में भाग लिया था।

वरिष्ठ अधिवक्ता विकास रंजन भट्टाचार्य ने कहा कि अंतरिम आदेश से अदालत के अगले आदेश तक उन शिक्षकों को वेतनमान के अनुसार वेतन मिल सकेगा, जिन शिक्षकों की नियुक्तियां एकल पीठ ने रद्द करने का आदेश दिया था।










संबंधित समाचार