फिल्मस्टार रजनीकांत को मिलेगा 51वां दादासाहब फाल्के अवॉर्ड, जानिये उनके सफर के बारे में

डीएन ब्यूरो

केंद्र सरकार ने भारतीय फिल्म इंडस्ट्री का सर्वोच्च सम्मान माने जाने वाले दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड की घोषणा कर दी है। इस बार यह सम्मान फिल्मस्टार रजनीकांत को मिलेगा। डाइनामाइट न्यूज रिपोर्ट में जानिये रजनीकांत के सफर के बारे में

रजनीकांत को 51वां दादा साहब फाल्के पुरस्कार
रजनीकांत को 51वां दादा साहब फाल्के पुरस्कार


नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने भारतीय फिल्म इंडस्ट्री का सर्वोच्च सम्मान माने जाने वाले दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड की घोषणा कर दी है। इस बार यह सम्मान फिल्मस्टार रजनीकांत को मिलेगा। रजनीकांत को मिलने वाला यह 51वां दादा साहेब फाल्के सम्मान होगा।

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने गुरुवार को यह एलान किया है। दादा साहब फाल्के को भारतीय सिनेमा का सबसे प्रतिष्ठित अवॉर्ड माना जाता है। बता दें कि इस बार कोरोना वायरस की वजह से सभी पुरस्कारों की घोषणा में देरी से हुई है। हाल ही में नेशनल अवॉर्ड की घोषणा भी की गई।

पारिवारिक पृष्ठभूमि

रजनीकांत फिल्म इंडस्ट्री के दिग्गज अभिनेता हैं। उन्होंने बेहद संघर्ष और अपनी प्रतिभा के बूते के फिल्म इंडस्ट्री में जो मुकाम हासिल किये, वैसा बेहद कम लोग कर पाते हैं। उनका जन्म 1950 को कर्नाटक प्रदेश के बैंगलूर में हुआ था। उन्हें भले ही दक्षिण भारतीय माना जाता है लेकिन रजनीकांत का परिवार मराठी पृष्ठभूमि का था, रजनीकांत की माता का नाम “रामबाई” था जो कि एक गृहणी थी और पिता “रामोजीराव गायकवाड” एक पुलिस कांस्टेबल थे।

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छ्त्रपति शिवाजी का सफर

रजनीकांत मराठी पृष्ठभूमि से नाता रखते थे इसलिए उनका नाम  महान वीर  योद्धा “छ्त्रपति शिवाजी” के नाम पर रखा गया था। रजनीकांत अपने चार भाई-बहनों में सबसे छोटे थे. रजनीकांत ने बचपन में ही महज 5 साल की उम्र में अपनी माँ को खो दिया था।

बस कंडेक्टर से फिल्म अभिनेता 

रजनीकांत ने शिक्षा पूरी करने के बाद अपने जीवन की शुरुवात एक कारपेंटर की नौकरी से की।  इसी बीच में “बैंगलूर ट्रांसपोर्ट सर्विस” में वे बी. टी. कंडेक्टर बन गए। इस नौकरी से रजनीकांत को आर्थिक सहायता तो मिली लेकिन फिर भी शायद ये वो मुकाम नहीं था, जहाँ रजनीकांत को जाना था. कंडेक्टर की सर्विस के दौरान भी उन्होंने अपने अभिनय तथा कला की रूचि को बनाये रखा।

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अपूर्वा रागंगाल से शुरूआत

रजनीकांत को फिल्मों में अभिनय करने का शौक था, इसलिये उन्होंने 1973 में एक्टिंग में डिप्लोमा लेने के लिये “मद्रास फिल्म इंस्टिट्यूट” में दाखिला लिया. और इसी इंस्टिट्यूट में उन्हें अभिनय के क्षेत्र में या यूँ कहे की फ़िल्मी दुनिया में अपना पहला  कदम रखने का मौका मिला। मशहूर निर्देशकों में शामिल बालाचंदर जी रजनीकांत के अभिनय से बहुत अधिक प्रभावित हुए और उन्होंने रजनीकांत को अपनी फिल्म में एक अभिनय का प्रस्ताव भी दिया। “अपूर्वा रागंगाल” ये रजनीकांत की पहली फिल्म थी। इसके बाद रजनीकांत पीछे मुड़कर नहीं देखा और कई फिल्मों में काम करके दर्शकों के मन पर अमिट छाप छोड़ी।
 










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