कारोबारी और आप नेता विजय नायर को सुप्रीम कोर्ट से मिली ये छूट, जानिये आबकारी नीति से जुड़ा पूरा मामला

डीएन ब्यूरो

उच्चतम न्यायालय ने कारोबारी एवं आम आदमी पार्टी (आप) के संचार प्रभारी विजय नायर को कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में अपनी जमानत अर्जी शीघ्र सूचीबद्ध कराने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख करने की सोमवार को छूट दे दी। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट
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नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने कारोबारी एवं आम आदमी पार्टी (आप) के संचार प्रभारी विजय नायर को कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में अपनी जमानत अर्जी शीघ्र सूचीबद्ध कराने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख करने की सोमवार को छूट दे दी।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक उच्च न्यायालय ने नायर की जमानत अर्जी पर 12 अप्रैल को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का जवाब मांगा था और मामले की अगली सुनवाई 19 मई के लिए निर्धारित कर दी थी।

नायर की अर्जी सोमवार को प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई, जिसने इस चरण में उसपर विचार करने से इनकार कर दिया और मामले की आगे की सुनवाई 19 मई के लिए निर्धारित कर दी।

नायर की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि उच्च न्यायालय ने नोटिस जारी किया है और जमानत अर्जी होने के तथ्य के बावजूद पांच हफ्ते बाद के लिए मामले की सुनवाई निर्धारित कर दी गई।

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उन्होंने कहा कि नायर को पिछले साल 14 नवंबर को कथित घोटाले से संबंधित भ्रष्टाचार के मामले में जमानत दी गई थी। इसकी जांच सीबीआई कर रही है।

उन्होंने कहा कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा जांच किये जा रहे कथित घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में नायर की जमानत अर्जी निचली अदालत ने इस साल 16 फरवरी को खारिज कर दी थी।

पीठ ने कहा, ‘‘मामले को जल्द किसी तारीख पर सूचीबद्ध कराने के लिए आप उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश का रुख कर सकते हैं।’’

शीर्ष न्यायालय ने गौर किया कि उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश ने 12 अप्रैल को मामले की सुनवाई 19 मई के लिए निर्धारित की थी।

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पीठ ने कहा, ‘‘इस तथ्य के आलोक में हम इस समय विशेष अनुमति याचिका पर विचार करने को इच्छुक नहीं हैं। हालांकि, हम याचिकाकर्ता के लिए यह विकल्प खुला रखते हैं कि वह जमानत अर्जी शीघ्र सूचीबद्ध कराने के लिए उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश का रुख कर सकते हैं।’’

धन शोधन का मामला सीबीआई की एक प्राथमिकी पर आधारित है। नयी आबकारी नीति की सीबीआई जांच की दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना द्वारा सिफारिश किये जाने के बाद यह प्राथमिकी दर्ज की गई थी। यह नीति बाद में रद्द कर दी गई थी।

दिल्ली सरकार ने आबकारी नीति 17 नवंबर 2021 को लागू की थी, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 में इसे रद्द कर दिया था।










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