बंबंई हाई कोर्ट ने सपा विधायक की याचिका को जनहित याचिका में बदलने को दी मंजूरी, जानिये पूरा मामला

डीएन ब्यूरो

बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को समाजवादी पार्टी के विधायक रईस शेख को एक अंतरधार्मिक विवाह समन्वय समिति गठित करने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले के खिलाफ अपनी याचिका को जनहित याचिका (पीआईएल) में तब्दील करने की अनुमति दे दी।

बंबई उच्च न्यायालय
बंबई उच्च न्यायालय


मुंबई: बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को समाजवादी पार्टी के विधायक रईस शेख को एक अंतरधार्मिक विवाह समन्वय समिति गठित करने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले के खिलाफ अपनी याचिका को जनहित याचिका (पीआईएल) में तब्दील करने की अनुमति दे दी।

खंडपीठ के न्यायमूर्ति गौतम पटेल और न्यायमूर्ति नीलम गोखले ने कहा कि याचिका एक जनहित याचिका की प्रकृति की प्रतीत होती है और इसलिए याचिकाकर्ता (शेख) इसे जनहित याचिका में तब्दील कर सकते हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘ याचिकाकर्ता के नाम और पते के अलावा याचिकाकर्ता के बारे में कोई तथ्य मौजूद नहीं है। याचिकाकर्ता का मामले के विषय के कोई लेनादेना नहीं है। वह हो सकता है कि इसे जनहित में कर रहा हो, ऐसा है तो वह इसे उचित तरीके से करे।’’

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार न्यायाधीश ने इस याचिका पर सुनवाई करने से पहले इसके सोशल मीडिया पर प्रसारित होने को लेकर हैरानी जतायी।

न्यायमूर्ति पटेल ने कहा, ‘‘ हमारे याचिका पर सुनवाई करने से पहले ऐसा कैसे हो सकता है, मीडिया से जुड़े हर एक व्यक्ति ने इसे देखा है। अगर आप मीडिया मंचों पर इसका फैसला करना चाहते हैं तो हमारा समय बर्बाद न करें...’’

महाराष्ट्र सरकार ने दिसंबर 2022 में एक सरकारी प्रस्ताव (जीआर) जारी किया था, जिसमें एक पैनल- ‘‘इंटरकास्ट / इंटरफेथ मैरिज- फैमिली कोऑर्डिनेशन कमेटी (राज्य स्तर)’’ का गठन किया गया था, ताकि ऐसे विवाह करने वालों के बारे में विस्तृत जानकारी एकत्र की जा सके।

अधिवक्ता जीत गांधी के जरिए दायर याचिका में विधायक ने अनुरोध किया था कि राज्य सरकार को उक्त सरकारी आदेश वापस लेने का निर्देश दिया जाए और इसे विशेष विवाह अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन घोषित किया जाए।










संबंधित समाचार