Bihar: बिहार के इन 13 जिलों में नहीं बची गरीबों में बांटने के लिए कोई ‘भूदान भूमि’

डीएन ब्यूरो

बिहार सरकार ने राज्य के 13 जिलों के गरीबों में अब तक 73 हजार एकड़ से अधिक ‘भूदान भूमि’ वितरित की है और इन जिलों में इस तरह की कोई भूमि अब आवंटन के लिए उपलब्ध नहीं है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

फाइल फोटो
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पटना: बिहार सरकार ने राज्य के 13 जिलों के गरीबों में अब तक 73 हजार एकड़ से अधिक ‘भूदान भूमि’ वितरित की है और इन जिलों में इस तरह की कोई भूमि अब आवंटन के लिए उपलब्ध नहीं है। तीन सदस्यीय आयोग की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।

रिपोर्ट के मुताबिक 1950 के दशक में मानवाधिकार कार्यकर्ता विनोबा भावे की अगुवाई में ‘भूदान’ आंदोलन के दौरान दान की गई करीब 1.06 लाख एकड़ भूमि को इन जिलों के भूमिहीनों में ‘बांटने योग्य नहीं’ पाया गया था।

गौरतलब है कि बिहार सरकार ने वर्ष 2017 में आंदोलन के दौरान दान की गई भूमि से जुड़ी कागजी कार्रवाई की जांच के लिए तीन सदस्यीय आयोग का गठन किया था।

आयोग के प्रमुख अशोक कुमार चौधरी ने डाइनामाइट न्यूज़ से कहा, ‘‘पैनल ने पाया कि इन जिलों में भूदान आंदोलन के दौरान दान की गई करीब 1.06 लाख एकड़ भूमि के राजस्व रिकॉर्ड की ‘पुष्टि’ नहीं (यानी बांटने योग्य नहीं है) हुई है।’’

गोपालगंज, सुपौल, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारन, सहरसा, सीतामढ़ी, पश्चिमी चंपारण और दरभंगा इन 13 जिलों में शामिल हैं।

चौधरी ने रविवार को कहा, ‘‘इन 13 जिलों में अब तक 73,245.47 एकड़ दान की गई 'पुष्टि' भूमि भूमिहीनों को वितरित की गई, जिसमें सबसे अधिक 25,752 एकड़ सुपौल में गरीबों को दी गई है।’’

उन्होंने कहा कि 13 जिलों में बांटने योग्य सब भूमि ‘बिहार भूदान यज्ञ समिति’ द्वारा गरीबों को आवंटित की जा चुकी है और बची हुई 1.06 लाख एकड़ भूमि को बांटने योग्य नहीं पाया गया है।

चौधरी ने कहा कि भूमि आवंटन की पूरी प्रक्रिया में पहचान संबंधी समस्या के कारण दशकों की देरी हुई। रिपोर्ट में कहा गया है कि बिहार सरकार ने अब तक 2.56 लाख करोड़ से अधिक भूमि राज्यभर में बांटी है, जबकि भूदान आंदोलन के दौरान कुल 6.48 लाख एकड़ भूमि मिली थी।

आयोग ने अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को तीन मार्च को सौंपी। राजस्व विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आयोग ने सिफारिश की है कि राज्य सरकार की 'भूदान यज्ञ समिति' का पुनर्गठन किया जाना चाहिए और ‘भूदान भूमि’ के शीघ्र वितरण के लिए मुख्यमंत्री को इसका 'पदेन' अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए।










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