Bangladesh Protest: कोटा सिस्टम को लेकर उबल रहा बांग्लादेश, खूनी भिड़ंत में अब तक 133 मौतें, सेना उतरी सड़कों पर

डीएन ब्यूरो

बांग्लादेश में नौकरियों में आरक्षण खत्म करने की मांग को लेकर तनाव की स्थिति बनी हुई है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

प्रदर्शनकारियों को काबू करती सेना
प्रदर्शनकारियों को काबू करती सेना


ढाका: बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में कोटा सिस्टम खत्म करने की मांग को लेकर छात्रों का हिंसक विरोध प्रदर्शन जारी है। कुछ दिन पहले देशभर में शुरू हुई हिंसक झड़पों में अब तक 133 से ज्यादा लोग मारे गए हैं। शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार ने कानून-व्यवस्था की चिंताजनक स्थिति को नियंत्रित करने के लिए राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू लागू है। और सेना सड़कों पर उतरी है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार सरकार ने दंगाइयों को 'देखते ही गोली मारने' के आदेश दिए हैं। 

प्रदर्शनकारियों द्वारा हिंसक विरोध प्रदर्शन

बांग्लादेश में हालात इतने बेकाबू हो गए हैं कि हसीना सरकार को सड़कों पर सेना उतारनी पड़ी है। कई स्थानों पर प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच झड़पें हुई हैं। इन विरोध प्रदर्शनों में अब तक 133 लोगों की मौत हो चुकी है और 3000 से ज्यादा घायल हुए हैं। लाठी, डंडे और पत्थर लेकर सड़कों पर घूम रहे प्रदर्शनकारी छात्र बसों और निजी वाहनों को आग के हवाले कर रहे हैं। अब तक 2500 से ज्यादा प्रदर्शनकारी पुलिस और सुरक्षा बलों के हाथ झड़प  में जख्मी हुए हैं। देश में मोबाइल इंटरनेट सर्विस बंद कर दी गई है।

प्रदर्शनकारियों की भीड़

बांग्लादेश की शीर्ष अदालत आज रविवार को विवादास्पद कोटा सिस्टम पर अपना फैसला सुना सकती है, जिसने विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा देशव्यापी आंदोलन को जन्म दिया है। सुप्रीम कोर्ट इस बात पर फैसला सुनाने वाला है कि सिविल सर्विस जॉब कोटा को खत्म किया जाए या नहीं। उससे पहले पूरे देश में कर्फ्यू लागू कर दिया गया है। 

प्रधानमंत्री शेख हसीना ने प्रदर्शनकारियों की तुलना उन लोगों से करके तनाव को और बढ़ा दिया, जिन्होंने 1971 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान पाकिस्तान का सहयोग किया था।

संवाददाता सम्मेलन के दौरान जब प्रधानमंत्री से छात्रों के विरोध प्रदर्शन के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि यदि स्वतंत्रता सेनानियों के पोते-पोतियों को (कोटा) लाभ नहीं मिलेगा, तो क्या रजाकारों के पोते-पोतियों को मिलेगा?' प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस बयान के बाद प्रदर्शनकारी छात्र और उग्र हो गए, जिससे पहले से ही तनावपूर्ण स्थिति और बढ़ गई। उन्होंने जवाब में 'तुई के? अमी के? रजाकार, रजाकार! (आप कौन? मैं कौन? रजाकार, रजाकार!) के नारे लगाने शुरू कर दिए।

गौरतलब है कि बांग्लादेश में 1971 मुक्ति संग्राम के स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण मिलता है। साल 2018 में इस कोटा सिस्टम के विरोध में बांग्लादेश में हिंसक छात्र आंदोलन हुआ था। शेख हसीना सरकार ने तब कोटा सिस्टम को निलंबित करने का फैसला किया था। मुक्ति संग्राम स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों ने सरकार के इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने पिछले महीने शेख हसीना सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था और कोटा सिस्टम को बरकरार रखने का फैसला सुनाया था।










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