Atal Bihari Vajpayee Birth Anniversary: अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती आज, जानिए क्यों थे इतने लोकप्रिय
देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी का अंदाज सभी से जुदा था। वे प्रखर वक्ता थे। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

नई दिल्ली: आज भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न से नवाजे गए स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म दिवस है। 25 दिसंबर का दिन देश में सुशासन के नाम से भी जाना जाता है। अपनी सौम्यता, सहजता और प्रखर वाणी से वह करोड़ों भारतीयों के मन में बसते थे। पक्ष और विपक्षी पार्टियों के सभी नेता उनके भाषण के मुरीद थे। उनके विचार भारत को समृद्धि के पथ पर प्रशस्त करने की प्रेरणा देते रहेंगे।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार वह भविष्य के भारत के परिकल्पना पुरुष थे। उनकी सरकार ने देश को सूचना प्रौद्योगिकी और दूरसंचार की दुनिया में तेजी से आगे बढ़ाया। उनके शासन काल में ही, एनडीए ने टेक्नोलॉजी को आम आदमी की पहुंच तक लाने का काम शुरू किया।

वे तीन बार भारत के प्रधानमंत्री रहे। अटल बिहारी एक राजनेता के साथ ही पत्रकार और लेखक भी थे। ने दमदार और ओजस्वी भाषण से वह हर किसी को प्रभावित कर देते थे।
स्वर्णिम चतुर्भुज योजना से शहरों को जोड़ा
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वाजपेयी जी की सरकार में शुरू हुई जिस स्वर्णिम चतुर्भुज योजना ने भारत के महानगरों को एक सूत्र में जोड़ा, वह आज भी लोगों की स्मृतियों पर अमिट है। लोकल कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए भी एनडीए गठबंधन की सरकार ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना जैसे कार्यक्रम शुरू किए।
उनके शासन काल में दिल्ली मेट्रो शुरू हुई, जिसका विस्तार आज हमारी सरकार एक वर्ल्ड क्लास इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के रूप में कर रही है। जब भी सर्व शिक्षा अभियान की बात होती है, तो अटल जी की सरकार का जिक्र जरूर होता है। शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता मानने वाले वाजपेयी जी चाहते थे भारत के वर्ग, यानी ओबीसी, एससी, एसटी, आदिवासी और महिला, सभी के लिए शिक्षा सहज और सुलभ बने।
संसद में उनका लोकप्रिय भाषण
विरोधी भी वाजपेयी जी के भाषणों के मुरीद थे। युवा सांसदों के लिए वो चर्चाएं सीखने का माध्यम बनतीं। संसद में कहा गया उनका यह वाक्य सरकारें आएंगी, जाएंगी, पार्टियां बनेंगी, बिगड़ेंगी, मगर ये देश रहना चाहिए। आज भी मंत्र की तरह हम सबके मन में गूंजता रहता है।
संयुक्त राष्ट्र संघ के मंच पर हिंदी में भाषण
भारत के विदेश मंत्री बनने के बाद जब संयुक्त राष्ट्र संघ में भाषण देने का अवसर आया, तो उन्होंने अपनी हिंदी से पूरे देश को खुद से जोड़ा। पहली बार किसी ने हिंदी में संयुक्त राष्ट्र में अपनी बात कही। मेरे जैसे असंख्य कार्यकर्ताओं को उनसे सीखने का, उनके साथ काम करने का, उनसे संवाद करने का अवसर मिला।
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विषम चुनौतियों का किया सामना
कारगिल युद्ध का दौर आया। संसद पर आतंकियों ने कायराना प्रहार किया। अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले से वैश्विक स्थितियां बदलीं, लेकिन हर स्थिति में अटल जी के लिए भारत और भारत का हित सर्वोपरि रहा।
पोकरण का सफल परमाणु परीक्षण
अटल सरकार के कई ऐसे साहसिक कार्य हैं जिन्हें आज भी हम देशवासी गर्व से याद करते है। देश को अब भी 11 मई 1998 का वह गौरव दिवस याद है जब एनडीए सरकार बनने के कुछ ही दिन बाद पोकरण में सफल परमाणु परीक्षण हुआ। इस परीक्षण के बाद दुनियाभर में भारत के वैज्ञानिकों को लेकर चर्चा होने लगी।
भाजपा की नींव तब रखी
उन्होंने उस समय भाजपा की नींव रखी जब कांग्रेस जैसी पार्टी का विकल्प बनना आसान नहीं था। उनका नेतृत्व, उनकी राजनीतिक दक्षता, साहस और लोकतंत्र के प्रति उनके अगाध समर्पण ने भाजपा को भारत की लोकप्रिय पार्टी के रूप में प्रशस्त किया।
लालकृष्ण आडवाणी और डॉ. मुरली मनोहर जोशी जैसे दिग्गजों के साथ, उन्होंने पार्टी को अनेक चुनौतियों से निकालकर सफलता के सोपान तक पहुंचाया।