Analysis: क्या भाजपा और RSS के बीच सब कुछ ठीक है? 2025 का साल तय करेगा BJP के भविष्य की राजनीति!
भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के लिहाज से 2025 का साल काफी महत्वपूर्ण साबित होने जा रहा है। इसकी कई वजह है। पढ़ें डाइनामाइट न्यूज़ का ये खास विश्लेषण:
नई दिल्ली: देश के सत्ता प्रतिष्ठान में इन दिनों एक ही सवाल मौजूं है कि भाजपा का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा? क्या यह भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की पसंद का होगा.. या फिर संघ की पसंद का? या फिर... बीच का... यानि दोनों की पसंद का... यह तस्वीर तो आने वाले दिनों में ही साफ होगी लेकिन एक बात तो तय है कि भाजपा और RSS के बीच सब कुछ ठीक नहीं है।
इसकी पहली झलक लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान देखने को मिली जब जेपी नड्डा ने एक अखबार को मई 2024 में दिये एक इंटरव्यू में बेहद हैरान करने वाला बयान दिया कि “भाजपा अब बाजपेयी जी के जमाने वाली पार्टी नहीं रही, तब हम कमजोर थे इसलिए RSS की जरुरत होती थी, अब पार्टी अपने पैरों पर खड़ी है और खुद में सक्षम है”
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इसके बाद मोहन भागवत ने बयान दिया कि “राम मंदिर निर्माण के बाद कुछ लोगों को लगता है कि वो नई जगहों पर इसी तरह के मुद्दों को उठाकर हिंदुओं का नेता बन सकते हैं, ये स्वीकार्य नहीं है” भागवत के इस बयान का जबरदस्त विरोध देश के बड़े और प्रमुख साधु-संतों ने किया। जगदगुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने इस बयान पर कहा, "ये मोहन भागवत का व्यक्तिगत बयान हो सकता है, ये सबका बयान नहीं है, वे किसी एक संगठन के प्रमुख हो सकते हैं, हिंदू धर्म के वो प्रमुख नहीं हैं कि हम उनकी बात मानते रहें. वो हमारे अनुशासक नहीं हैं, हम उनके अनुशासक हैं" माना जा रहा है कि साधु संतों के इन बयानों के पीछे भाजपा का हाथ है।
इस वार-प्रतिवार के बाद यह चर्चा और तेज हो गयी है कि क्या भाजपा और RSS के बीच सब कुछ ठीक है?
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जिस तरह से भाजपा महज 240 सीटों पर लोकसभा चुनावों में अटक गयी तब यह माना गया कि RSS की नाराजगी इसके पीछे एक बड़ी वजह है लेकिन छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों में तमाम राजनीतिक विश्लेषकों के अनुमान को गलत साबित करते हुए भाजपा ने प्रचंड जीत हासिल की है, इससे भाजपा के शीर्ष नेतृत्व का मनोबल ऊंचा हुआ है। ऐसे में RSS की पसंद का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनेगा...इस सवाल को भाजपा की तरफ से जोरदार चुनौती मिल रही है।
देखना दिलचस्प होगा कि नया अध्यक्ष कौन होगा क्योंकि यह साल कई मायनों में भाजपा के लिए खास होगा और खास तौर पर प्रधानमंत्री मोदी और संघ प्रमुख मोहन भागवत के लिए क्योंकि यह वह साल है जब दोनों 75 वर्ष के हो जायेंगे।