गोमती नदी घोटाले की न्यायिक जांच की कमान आलोक सिंह को
भ्रष्टाचारियों पर योगी सरकार ने शिकंजा कसना शुरु कर दिया है। लखनऊ के गोमती नदी घोटाले की जांच का जिम्मा आलोक सिंह की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय कमेटी करेगी। इस कमेटी के दो अन्य सदस्य यू. के. चौधरी और ए. के. गर्ग होंगे। कमेटी 45 दिन में अपनी रिपोर्ट सौपेगी।
लखनऊ: गोमती नदी चैनलाइजेशन परियोजना की गुणवत्ता, परियोजना कार्यों में देरी तथा धनराशि अनियमित रूप से हुये खर्च की जांच इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश आलोक कुमार सिंह करेंगे।
सिंह की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय जांच समिति के गठन की आधिकारिक अधिसूचना जारी कर दी गयी है।
इस समिति में रिवराइन इंजीनियरिंग आई0आई0टी0 बी0एच0यू0 के सेवानिवृत्त प्रोफेसर यू. के. चौधरी और आई. आई. एम. लखनऊ के वित्त संकाय के प्रोफेसर ए. के. गर्ग को सदस्य बनाया गया है।
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इस समिति को अपनी जांच आख्या 45 दिन में देना है।
क्या है घोटाला:
गोमती नदी चैनलाइजेशन परियोजना हेतु 656 करोड़ रुपये की धनराशि अनुमोदित की गयी थी, जो बाद में पुनरीक्षित होकर 1513 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की गयी थी। पुनरीक्षित लागत 1513 करोड़ रुपये में से अब तक 95 प्रतिशत धनराशि व्यय हो जाने के बावजूद भी परियोजना का 60 प्रतिशत कार्य ही पूर्ण हुआ है।
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यही नही गोमती नदी के जल को प्रदूषण मुक्त करने के स्थान पर अनेक गैर जरूरी कार्यों पर अत्यधिक धनराशि खर्च की गयी तथा इन कार्यों को करने के लिये निर्धारित प्रक्रिया का पालन नही किया गया।
सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय समिति द्वारा गोमती नदी चैनलाइजेशन परियोजना के विभिन्न अवयवों की लागत का सत्यापन, परियोजना के क्रियान्वयन में विलम्ब के कारण लागत राशि के लगभग 95 प्रतिशत खर्च हो जाने के उपरान्त भी मात्र 65 प्रतिशत कार्य होने के लिये जिम्मेदारी का निर्धारण, पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिकोण से योजना की उपयुक्तता, स्वीकृत मदों के विरुद्ध नियमानुसार भुगतान की स्थिति तथा परियोजना के क्रियान्वयन में बरती गयी वित्तीय अनियमितताओं की स्थिति का जांच कर अपनी जांच आख्या 45 दिन में प्रस्तुत करेगी।