पांच सौ रुपया नहीं दिया तो सरकारी एंबुलेंस चालक ने प्रसूता को छोड़ा बीच रास्ते
उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर की एक तस्वीर राज्य की बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत बयां कर रही है। किस तरह यहां स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी मरीजों के साथ सलूक कर रहे हैं, इसकी कलई खोलती डाइनामाइट न्यूज़ की ये एक्सक्लूसिव रिपोर्ट..
शाहजहांपुर: जिले के धर्मपुर पिडरिया निवासी सीमा पत्नी मुनीम को प्रसव के लिए कस्बे के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर शुक्रवार की शाम को एडमिट कराया गया था प्रसव होने के बाद प्रसूता सीमा को घर पर छोड़ने के लिए शनिवार की सुबह सरकारी एम्बुलेंस पर अस्पताल से बैठाया गया था उनके साथ उसके परिजन भी थे। एंबुलेंस को चालक आदेश चला रहे थे।
आरोप है कि चालक ने प्रसूता से घर तक पहुंचाने के लिए एक निश्चित धन राशि मांगी थी पूरी ना मिलने की वजह से चालक ने उसको गांव के प्राथमिक विद्यालय पर ही छोड़ दिया। जिससे उसको घर तक जाने में काफी शारीरिक कष्ट उठाना पड़ा।
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दूसरी तरफ एंबुलेंस चालक आदेश का कहना है कि महिला को अस्पताल से एंबुलेंस पर बैठाया था उसके घर तक रास्ता काफी खराब होने की वजह से एंबुलेंस वहां नहीं जा पाई, जिसके चलते उसको प्राथमिक विद्यालय पर छोड़ना पड़ा।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक गांव बीहड़ जंगल जैसा है, शिकारी कुत्ते गायों के नवजात बछड़ों का शिकार करके खा जाते हैं ऐसे हालातों में प्रसूता को बीहड क्षेत्र में छोड़ना खतरे से खाली नहीं था।
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इस संबंध में अस्पताल के चिकित्सा प्रभारी एस के बचानी ने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए कहा एंबुलेंस की जिम्मेदारी उनकी नहीं है इससे हमको कोई मतलब नहीं है।
दूसरी तरफ सीएमओ आरपी रावत का कहना है कि प्रसूता को एंबुलेंस से उसके घर तक पहुंचाने की जिम्मेदारी चिकित्सा प्रभारी तथा एंबुलेंस चालक की है इससे कोई नहीं बच सकता। मामले की जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।