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अमेरिकी टैरिफ पर रघुराम राजन की सख्त चेतावनी: ‘भारत को व्यापार नीति में बदलाव की जरूरत’

पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने अमेरिकी टैरिफ को भारत के लिए बड़ा चेतावनी संकेत बताया। उन्होंने रूस से तेल आयात नीति पर पुनर्विचार और आपूर्ति स्रोतों में विविधता की बात कही।
Post Published By: सौम्या सिंह
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अमेरिकी टैरिफ पर रघुराम राजन की सख्त चेतावनी: ‘भारत को व्यापार नीति में बदलाव की जरूरत’

New Delhi: अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर डॉ. रघुराम राजन ने गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने इसे न सिर्फ आर्थिक दबाव का संकेत बताया, बल्कि भारत के लिए यह चेतावनी करार दी कि उसे अपनी व्यापारिक और कूटनीतिक रणनीतियों में बदलाव लाने की आवश्यकता है।

मीडिया से विशेष बातचीत में डॉ. राजन ने साफ कहा कि ‘व्यापार, निवेश और वित्त को अब हथियार बनाया जा रहा है’, और भारत को अपने वैश्विक संबंधों में संतुलन साधते हुए अपनी निर्भरता कम करनी चाहिए।

रूसी तेल नीति पर पुनर्विचार की सलाह

रघुराम राजन ने विशेष रूप से भारत की रूस से सस्ते तेल की खरीद पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह तय करने का वक्त आ गया है कि इससे किसे असल में लाभ हो रहा है और किसे नुकसान। उन्होंने कहा, रिफाइनर कंपनियां मुनाफा कमा रही हैं, लेकिन निर्यातक इन टैरिफ की कीमत चुका रहे हैं। अगर कुल मिलाकर फायदा नहीं हो रहा, तो हमें यह विचार करना चाहिए कि क्या इस नीति को जारी रखा जाना चाहिए।

उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ इसलिए लगाया है क्योंकि वह अब भी रूस से तेल खरीद रहा है, जबकि पश्चिमी देश यूक्रेन युद्ध के चलते रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा चुके हैं।

‘हमें किसी एक पर निर्भर नहीं रहना चाहिए’

राजन ने चीन का उदाहरण देते हुए कहा कि यह मुद्दा निष्पक्ष व्यापार का नहीं, बल्कि भू-राजनीतिक दबावों का है। उन्होंने दो टूक कहा, हमें अपनी आपूर्ति और निर्यात बाजारों में विविधता लानी होगी। किसी एक देश या बाजार पर पूरी तरह निर्भर होना अब खतरनाक साबित हो सकता है।

राजन बोले- भारत को चाहिए रणनीतिक संतुलन और आत्मनिर्भरता

राजन ने सुझाव दिया कि भारत को यूरोप, अफ्रीका और पूर्वी एशिया के साथ अपने संबंधों को और मजबूत करना चाहिए, साथ ही अमेरिका से भी संतुलन बनाए रखना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यह संकट भारत के लिए एक अवसर है- एक ऐसा मौका जिसमें वह आत्मनिर्भरता, प्रतिस्पर्धा और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में भागीदारी को बढ़ा सकता है।

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संरचनात्मक सुधारों पर जोर

पूर्व आरबीआई गवर्नर ने भारत की दीर्घकालिक आर्थिक वृद्धि के लिए संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता को दोहराया। उन्होंने कहा कि व्यापार में आसानी, घरेलू फर्मों की प्रतिस्पर्धा और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में जुड़ाव से ही भारत 8 से 8.5 प्रतिशत की वार्षिक विकास दर हासिल कर सकता है।

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उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत बेरोजगारी और धीमी वृद्धि दर से जूझ रहा है, और वैश्विक निवेशकों के लिए स्थिरता और विश्वसनीयता की जरूरत लगातार बढ़ रही है।

अमेरिका-भारत संबंधों पर दबाव

राजन ने ट्रंप प्रशासन के रवैये को लेकर भी चिंता जताई। उन्होंने बताया कि कैसे अमेरिका की टैरिफ नीति केवल राजस्व जुटाने की कोशिश नहीं है, बल्कि एक रणनीतिक दबाव का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि पीटर नवारो, जो ट्रंप के करीबी माने जाते हैं, का यह आरोप कि भारत रूसी तेल से मुनाफा कमा रहा है, यह दिखाता है कि भारत को अमेरिका की ‘नियमों की राजनीति’ में दबाया जा रहा है।

मोदी सरकार की प्रतिक्रिया

वहीं भारत सरकार ने अब तक साफ रुख अपनाते हुए कहा है कि भारत किसी दबाव में नहीं झुकेगा और अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए ही रूस से तेल खरीद जारी रखेगा। भारत ने अमेरिका पर यह भी आरोप लगाया है कि वह चीन और यूरोपीय देशों के प्रति नरमी बरतते हुए भारत के साथ भेदभाव कर रहा है, जबकि वे भी रूस से ऊर्जा आयात कर रहे हैं।

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