नई दिल्ली: भारत-पाकिस्तान के बीच चल रही तनातनी के बीच सीजफायर लागू कर दिया गया लेकिन इसी बीच अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा पाकिस्तान को 1 अरब डॉलर की आर्थिक सहायता देने के फैसले ने विवाद को गहरा कर दिया है।
डाइनामाइट न्यूज़ के एडिटर-इन-चीफ मनोज टिबड़ेवाल आकाश ने अपने स्पेशल शो में बताया कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा पाकिस्तान की सहायता करने पर भारत ने कड़ा विरोध जताया और इसे “नैतिक सुरक्षा उपायों से रहित” बताया है। भारत के साथ-साथ कई अंतरराष्ट्रीय नेताओं और विशेषज्ञों ने भी IMF की आलोचना की है।
IMF ने शुक्रवार को पाकिस्तान को मौजूदा एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (EFF) के तहत यह राशि जारी करने की मंजूरी दी। यह आर्थिक मदद ऐसे समय में दी गई है जब भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य तनाव बेहद गंभीर मोड़ पर पहुंच गया था। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम की बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत एयर स्ट्राइक कर पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित 9 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया था।
इसके बाद पाकिस्तान की ओर से मिसाइल और ड्रोन हमले शुरू हुए, जिनका भारत ने करारा जवाब देते हुए सभी हमलों को नाकाम कर दिया। इसी पृष्ठभूमि में IMF का पाकिस्तान को 1 अरब डॉलर की मदद देना, भारत सहित वैश्विक स्तर पर आलोचना का कारण बन गया है।
भारत का विरोध और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
भारत के वित्त मंत्रालय ने IMF के फैसले को “नैतिक सुरक्षा उपायों से रहित” बताते हुए कहा कि इस तरह की मदद से पाकिस्तान जैसे देश को सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने में आर्थिक सहायता मिलती है। मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि “कई सदस्य देश चिंतित हैं कि IMF जैसी संस्थाओं द्वारा दी गई सहायता का उपयोग सैन्य और आतंकी गतिविधियों के लिए किया जा सकता है।”
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी IMF की कड़ी आलोचना करते हुए कहा, “मुझे यकीन नहीं है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय यह कैसे मानता है कि उपमहाद्वीप में तनाव कम होगा, जब पाकिस्तान को आर्थिक मदद दी जा रही है, जिसका उपयोग पुंछ, राजौरी, उरी और तंगधार जैसे इलाकों में तबाही मचाने के लिए किया जा रहा है।”
पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने इस फैसले को “राजनीतिक रूप से अत्यधिक संदिग्ध” बताते हुए कहा कि IMF पर बड़े देशों का नियंत्रण है और यह निर्णय उन्हीं के दबाव में लिए जाते हैं। उन्होंने यूक्रेन को दी गई वित्तीय सहायता को इसका उदाहरण बताया।
अफगान नेता की तीखी प्रतिक्रिया
निर्वासित अफगान सांसद मरियम सोलाय मानखिल ने भी इस मसले पर नाराजगी जताते हुए कहा, “IMF ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को नहीं, बल्कि खून-खराबे को बचाया है। अब समय आ गया है कि दुनिया यह तय करे कि वह कब तक पाकिस्तान को हत्या के लिए पैसे देती रहेगी।”
भारत ने IMF के समक्ष उठाई बात
भारत ने स्पष्ट किया है कि वह IMF के समक्ष पाकिस्तान की गतिविधियों और आतंकवाद को समर्थन देने की उसकी भूमिका को उजागर करेगा। भारत का मानना है कि इस तरह की आर्थिक मदद से न केवल क्षेत्रीय स्थिरता को खतरा है, बल्कि यह आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई को भी कमजोर करता है।

