New Delhi: दिल्ली और एनसीआर के लोगों के लिए बड़ी राहत की खबर है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने द्वारका एक्सप्रेसवे का उद्घाटन किया, जो अब पूरी तरह से चालू हो गया है। यह 8 लेन वाला, 29 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेसवे लाखों यात्रियों के लिए तेज और सुविधाजनक यात्रा का मार्ग बन गया है। इसकी खास बात यह है कि यहां पर देश का पहला ह्यूमन फ्री टोल प्लाजा शुरू किया गया है, जहां टोल वसूली के लिए किसी इंसान की आवश्यकता नहीं है।
कैसे काम करता है टोल सिस्टम?
यह नया टोल सिस्टम पूरी तरह से ऑटोमेटिक है। टोल प्लाजा पर लगे हाई-रेजोल्यूशन कैमरे वाहन की विंडस्क्रीन पर लगे FASTag में मौजूद RFID चिप को स्कैन करते हैं। जैसे ही RFID पढ़ लिया जाता है और आपके FASTag में पर्याप्त बैलेंस होता है, बैरियर अपने आप खुल जाता है, और वाहन बिना रुके आगे बढ़ सकता है।
यह प्रणाली सैटेलाइट से जुड़ी हुई है और इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया है। भविष्य में इसे और विकसित करके मल्टी-हाइब्रिड मॉडल में बदला जाएगा, जिससे सिस्टम और भी अधिक कुशल और तेज हो जाएगा।
फास्टैग में बैलेंस नहीं हुआ तो क्या?
अब सवाल ये उठता है कि अगर किसी वाहन के FASTag में बैलेंस नहीं है, तो ऐसे में क्या होगा? मौजूदा व्यवस्था के अनुसार, अगर FASTag में बैलेंस नहीं होता, तो वाहन को टोल प्लाजा पर रोक दिया जाता है और नकद भुगतान पर दोगुना शुल्क लिया जाता है।
इसी तरह, मानव-मुक्त टोल प्लाजा पर भी बैरियर तब तक नहीं खुलेगा जब तक बैलेंस नहीं होगा। यदि कोई व्यक्ति जबरदस्ती बैरियर पार करने की कोशिश करता है, तो कैमरे की निगरानी में यह रिकॉर्ड हो जाएगा और उस पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है। हालांकि, अभी के लिए वहां कुछ सहायक कर्मचारी मौजूद हैं जो तकनीकी दिक्कतों की स्थिति में यात्रियों की मदद करेंगे।
नई तकनीक की शुरुआत
हालांकि यह तकनीक बेहद आधुनिक है, लेकिन अभी शुरुआती चरण में कुछ तकनीकी समस्याएँ सामने आ रही हैं। कई बार कैमरे RFID को सही ढंग से और तेज़ी से स्कैन नहीं कर पा रहे हैं। लेकिन उम्मीद की जा रही है कि जैसे-जैसे सिस्टम अपडेट होगा, यह समस्याएं खत्म हो जाएंगी।
यदि द्वारका एक्सप्रेसवे पर यह प्रयोग सफल रहता है, तो आने वाले समय में यह तकनीक देश के अन्य एक्सप्रेसवे पर भी लागू की जा सकती है।