New Delhi: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो एक बार फिर अपने विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने भारत पर गंभीर आरोप लगाए हैं और दावा किया है कि नई दिल्ली अमेरिकी डॉलर का इस्तेमाल कर सस्ता रूसी तेल खरीदती है, जिसे प्रोसेस करके भारत फिर यूरोप, अफ्रीका और एशिया के देशों को फ्यूल के रूप में निर्यात करता है।
पीटर नवारो ने न सिर्फ भारत के व्यापार व्यवहार की आलोचना की, बल्कि रूस-यूक्रेन युद्ध को भी अप्रत्यक्ष रूप से भारत से जोड़ते हुए इसे ‘मोदी का युद्ध’ कह दिया। उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भगवा वस्त्रों में एक तस्वीर साझा करते हुए नस्लीय टिप्पणी की और लिखा- ‘यूक्रेन में शांति का रास्ता नई दिल्ली से होकर गुजरता है।
9/ The Biden admin largely looked the other way at this madness.
President Trump is confronting it.
A 50% tariff—25% for unfair trade and 25% for national security—is a direct response.
If India, the world’s largest democracy, wants to be treated like a strategic partner of… pic.twitter.com/XAt6aa4JLA
— Peter Navarro (@RealPNavarro) August 28, 2025
तेल व्यापार पर सवाल उठाए
नवारो ने भारत पर आरोप लगाया कि वह रूस के लिए एक ‘तेल के धन शोधन केंद्र’ में बदल गया है। उन्होंने कहा कि 2022 से पहले भारत रूस से लगभग नगण्य मात्रा में कच्चा तेल आयात करता था, लेकिन यूक्रेन युद्ध के बाद यह आंकड़ा बढ़कर 30% से भी ज्यादा हो गया है। उनका दावा है कि भारत प्रतिदिन लगभग 15 लाख बैरल रूसी तेल खरीद रहा है, और यह घरेलू मांग के बजाय ‘मुनाफाखोरी’ की भावना से प्रेरित है।
8/ It doesn’t stop there. India continues to buy Russian weapons—while demanding that U.S. firms transfer sensitive military tech and build plants in India.
That’s strategic freeloading. pic.twitter.com/KJBSGb3pD3
— Peter Navarro (@RealPNavarro) August 28, 2025
उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका के उपभोक्ता भारतीय सामान खरीदते हैं, जबकि भारत अमेरिका के निर्यात पर ऊंचे टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाएं लगाकर अमेरिकी व्यापार को नुकसान पहुंचाता है। भारत इस व्यापार से प्राप्त डॉलर को रूस से सस्ते तेल की खरीद में लगाता है, जो अंततः पुतिन की युद्ध नीति को आर्थिक रूप से समर्थन देता है।
‘सबसे बड़े लोकतंत्र’ पर निशाना
पीटर नवारो ने भारत को रूस के लिए ‘रिफाइनिंग हब’ करार देते हुए कहा कि भारत की तेल लॉबी ने देश को क्रेमलिन के लिए एक आर्थिक ताकत में बदल दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत के पास जो डॉलर आते हैं, उनका इस्तेमाल यूक्रेनी नागरिकों की मौत और विनाश में अप्रत्यक्ष रूप से हो रहा है।
उनके मुताबिक, भारत रूस से सस्ते दामों पर तेल खरीदता है, उसे प्रोसेस करता है और फिर उसे ऐसे देशों को बेचता है जिन्होंने रूस से सीधा तेल लेना बंद कर दिया है। यह सिर्फ एक व्यापारिक रणनीति नहीं, बल्कि एक प्रकार का जटिल तेल तस्करी तंत्र है।
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भारत की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं
पीटर नवारो के इस विवादित बयान पर भारत सरकार या विदेश मंत्रालय की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। हालांकि, कई वैश्विक विश्लेषकों और विशेषज्ञों ने नवारो के दावों को अतिरंजित और तथ्यहीन बताया है। उन्होंने याद दिलाया कि भारत ने बार-बार कहा है कि वह अपनी ऊर्जा सुरक्षा को प्राथमिकता देता है और यह कोई भी देश करता है।
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साथ ही, अमेरिका और पश्चिमी देशों ने भारत को रूसी तेल खरीद को लेकर कभी भी औपचारिक रूप से प्रतिबंधित नहीं किया है, बल्कि कई बार यह भी स्वीकार किया है कि मूल्य सीमा (Price Cap) की योजना भारत जैसे देशों को रियायती दर पर तेल खरीदने का अवसर प्रदान करने के लिए ही बनाई गई थी।
नवारो के बयानों पर प्रतिक्रिया
विश्लेषकों का मानना है कि पीटर नवारो के बयान अमेरिकी घरेलू राजनीति का हिस्सा हैं और भारत को लेकर आक्रामक रुख दिखाने का प्रयास किया गया है। हालांकि उनके बयानों में तथ्यों की कमी और राजनीतिक दुर्भावना की झलक स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है।