Samastipur: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने बिहार के समस्तीपुर जिले में वायरल हुए एक चुनावी गीत पर स्वतः संज्ञान लेते हुए बड़ा कदम उठाया है। आयोग ने समस्तीपुर के जिलाधिकारी (DM), पुलिस अधीक्षक (SP) और मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) को नोटिस जारी किया है। आरोप है कि इस गीत में नाबालिग बच्चों से राजनीतिक नारे बुलवाए और गवाए गए, जो न केवल चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है बल्कि बच्चों के अधिकारों का गंभीर हनन भी है।
आयोग ने इस मामले में सभी अधिकारियों से दो सप्ताह के भीतर विस्तृत एक्शन टेकन रिपोर्ट (ATR) तलब की है। साथ ही, NHRC ने कहा है कि इस प्रकार के कृत्य बच्चों की मासूमियत का राजनीतिक उपयोग करने जैसा है, जो समाज और लोकतंत्र दोनों के लिए चिंताजनक है।
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बच्चों की मासूमियत का राजनीतिक दुरुपयोग- NHRC की चिंता
NHRC ने अपने बयान में कहा कि बच्चों को किसी भी राजनीतिक गतिविधि, प्रचार या चुनावी अभियान में शामिल करना ‘बाल अधिकारों का घोर उल्लंघन’ है। आयोग ने जोर देकर कहा कि संविधान और बाल संरक्षण कानूनों के तहत बच्चों को ऐसे किसी कार्य में शामिल नहीं किया जा सकता जो उनके मानसिक या सामाजिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाले।
NHRC ने वायरल चुनावी गीत पर स्वतः संज्ञान लेते हुए समस्तीपुर डीएम, समस्तीपुर एसपी और मुख्य निर्वाचन आयुक्त को नोटिस जारी किया है। आरोप है कि गीत में नाबालिग बच्चों से राजनीतिक नारे गवाए और बुलवाए गए हैं। आयोग ने दो सप्ताह के भीतर एक्शन टेकन रिपोर्ट तलब की है, बच्चों की मासूमियत…
— डाइनामाइट न्यूज़ हिंदी (@DNHindi) November 10, 2025
सूत्रों के अनुसार, वायरल वीडियो में कुछ नाबालिग बच्चे एक विशेष राजनीतिक दल के समर्थन में गीत गाते और नारे लगाते हुए दिखाई दे रहे हैं। यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गया था और इसे लेकर कई मानवाधिकार संगठनों ने शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत के आधार पर NHRC ने स्वतः संज्ञान लेते हुए तुरंत कार्रवाई की।
जिला प्रशासन और चुनाव आयोग पर जवाबदेही
आयोग ने समस्तीपुर प्रशासन से पूछा है कि इस वीडियो को लेकर अब तक क्या कार्रवाई की गई है और इसमें शामिल लोगों की पहचान कैसे की जा रही है। साथ ही, NHRC ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त से यह स्पष्ट करने को कहा है कि निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशों के तहत इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए कौन से कदम उठाए जा रहे हैं।
समस्तीपुर के जिला प्रशासन ने फिलहाल इस मामले पर कोई औपचारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, स्थानीय पुलिस ने वीडियो की सत्यता की जांच शुरू कर दी है।
आयोग सख्त
बाल अधिकार कार्यकर्ताओं ने इस मामले को ‘राजनीतिक लालच में बच्चों का शोषण’ बताया है। उनका कहना है कि बच्चों को किसी भी राजनीतिक विचारधारा या दल से जोड़ना न केवल अनुचित है बल्कि यह उनके ‘बाल संरक्षण अधिनियम, 2015’ के भी खिलाफ है।
NHRC ने इस पूरे प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए कहा कि यदि इस मामले में कोई सरकारी अधिकारी या राजनीतिक दल जिम्मेदार पाया गया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

