Gorakhpur: पूर्वांचल के विकास को नई गति देने वाली सहजनवां-दोहरीघाट रेल लाइन परियोजना पर कार्य तेज़ी पकड़ने लगा है। शुक्रवार को जिला मुख्यालय स्थित सभागार में मुख्य राजस्व अधिकारी (सीआरओ) हिमांशु वर्मा ने परियोजना से जुड़े भूमि अधिग्रहण कार्य की समीक्षा बैठक की।
बैठक में उन्होंने संबंधित अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी, निष्पक्ष और समयबद्ध तरीके से पूरी की जाए, ताकि परियोजना का निर्माण कार्य शीघ्र शुरू हो सके।
यह महत्वाकांक्षी रेल परियोजना गोरखपुर और मऊ जिलों को सीधे जोड़ने के उद्देश्य से प्रस्तावित की गई है। करीब 80 किलोमीटर लंबी इस रेल लाइन पर लगभग ₹1320 करोड़ की लागत आने का अनुमान है। इसके बन जाने से न केवल यात्रियों के लिए आवागमन का एक नया और सुविधाजनक मार्ग उपलब्ध होगा, बल्कि क्षेत्र के सामाजिक, आर्थिक और औद्योगिक विकास को भी बड़ा बल मिलेगा।
सीआरओ हिमांशु वर्मा ने कहा कि परियोजना पूर्ण होने पर गोरखपुर से वाराणसी, छपरा और प्रयागराज जैसे प्रमुख शहरों के लिए एक वैकल्पिक रेल मार्ग तैयार हो जाएगा। इससे यात्रियों को समय की बचत होगी, माल ढुलाई सुलभ बनेगी और पूर्वांचल के व्यापारिक गतिविधियों को नई ऊंचाई मिलेगी। उन्होंने राजस्व विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया कि भूमि स्वामियों की समस्याओं का समाधान प्राथमिकता के आधार पर किया जाए और मुआवजा निर्धारण में किसी प्रकार की देरी या अनियमितता न हो।
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उन्होंने यह भी कहा कि रेल लाइन निर्माण से जुड़े गांवों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, स्थानीय स्तर पर व्यापार, कृषि और लघु उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा। भूमि विवादों के निस्तारण और अभिलेखों के सत्यापन के लिए तहसील स्तरीय टीमों को सक्रिय कर दिया गया है।
सीआरओ ने अधिकारियों से कहा कि विकास परियोजनाओं को गति देना शासन की शीर्ष प्राथमिकता है। इसलिए प्रत्येक स्तर पर सहयोग और समन्वय के साथ कार्य किया जाए। उन्होंने विश्वास जताया कि विभागीय तालमेल और स्थानीय प्रशासन के सहयोग से सहजनवां-दोहरीघाट रेल लाइन परियोजना तय समयसीमा में पूरी होगी।
इस परियोजना के पूरा होने के बाद पूर्वांचल में रेल नेटवर्क और मजबूत होगा, जिससे गोरखपुर मंडल ही नहीं बल्कि पूरा पूर्वी उत्तर प्रदेश विकास की नई पटरी पर दौड़ने लगेगा।

