दिल्ली में यमुना नदी खतरे के निशान के ऊपर, लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया

डीएन ब्यूरो

लगातार हो रही बारिश और हरियाणा के हथिनी कुंड बैराज से लगातार पानी छोड़े जाने से दिल्ली में यमुना नदी खतरे के निशान के ऊपर बह रही है, जिससे बाढ़ का संकट बना हुआ है। शासन ने नदी तट पर रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया है। पूरी खबर..

दिल्ली में लोहे के पुल को छूने लगी यमुना नदी
दिल्ली में लोहे के पुल को छूने लगी यमुना नदी


नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में यमुना नदी का उफान लगातार बढ़ता जा रहा जिससे बाढ़ का संकट गहराता जा रहा है। सोमवार सुबह नदी का जलस्तर बढकर 205.66 मीटर पर पहुंच गया। यमुना का जलस्तर करीब एक मीटर और बढ़ने का अनुमान है। बढ़ते जलस्तर ने आम जनता समेत सरकार की चिंता को बढ़ा दिया है।

पिछले दो दिनों से हो रही लगातार बारिश और हरियाणा के हथिनी कुंड बैराज से ज्यादा पानी छोड़े जाने से दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर बढ़ रहा है। यमुना नदी के जलस्तर ने शनिवार को इस सीजन में पहली बार खतरे के निशान को पार किया। शनिवार को नदी का जलस्तर 204.92 मीटर हो गया था जो सोमवार के 205.66 मीटर तक पहुंच गया।    

कई जगहों पर यमुना नदी खतरे के निशान के काफी ऊपर बह रही है। दिल्ली के बाढ़ नियंत्रण विभाग के अनुसार लोहे के पुल पर यमुना नदी का जलस्तर 204.92 मीटर हो गया है जो खतरे के निशान 204.83 मीटर से 0.09 मीटर अधिक है।

विभाग द्वारा एहतियातन नदी क्षेत्र में स्थित कुछ गाँवों से लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जा रहा है। बाढ़ नियंत्रण कक्ष के अनुसार हथिनी कुंड बैराज से शनिवार को छह लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ा गया था, जिसका सोमवार शाम तक दिल्ली पहुंचने की उम्मीद है। इसके बाद नदी का जलस्तर और बढ़ेगा। 

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यमुना नदी के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए उत्तर रेलवे ने एहतियात के तौर पर लोहे के पुल से रेलगाड़ियों का आवागमन रविवार शाम से ही रोक दिया था। इसकी वजह से 27 ट्रेनों को रद्द किया गया है। कई ट्रेनों के मार्ग बदले गए हैं। दिल्ली सरकार ने एहतियातन कई कदम उठाए हैं। निचले इलाकों में रहने वालों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया है।

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बाढ़ नियंत्रण विभाग का कहना है कि खतरे की आशंका नहीं है। सतर्कता के लिए सभी कदम उठाए गए हैं। उत्तर पूर्वी दिल्ली में नदी के किनारे बसे न्यू उस्मानपुर, गढ़ी मांडू और सोनिया विहार से लोगों को हटाकर सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है। पानी में वृद्धि को देखते हुए निचले इलाके में रहने वाले लोग स्वयं भी सामान लेकर सुरक्षित स्थानों पर जा रहे हैं।

 










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