UP Police: महिला IPS को कुचलने वाले 3 सिपाहियों 10-10 साल की जेल, जानिये पूरा सनसनीखेज मामला
महिला आईपीएस अफसर को कुचलने वाले दोषी करार दिये गये यूपी पुलिस के 3 सिपाहियों को कोर्ट ने सजा सुना दी है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

बरेली: जनपद की एक अदालत ने सोमवार को भारतीय पुलिस सेवा (IPS) की एक महिला अधिकारी को 14 साल पहले कार से कुचलने के मामले में यूपी पुलिस के तीन सिपाहियों को 10-10 साल की सजा सुना दी है। कोर्ट ने इससे पहले शनिवार को तीनों सिपाहियों को दोषी करार दिया था और सोमवार को सजा का ऐलान करने को कहा था। कोर्ट ने तीनों सिपाहियों को हत्या के मामले में दोषी ठहराया।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक जनपद की भ्रष्टाचार निवारण अदालत-प्रथम के विशेष न्यायाधीश सुरेश कुमार गुप्ता ने चारों आरोपियों को हत्या के प्रयास का दोषी करार दिया। इसके साथ ही दोषियों पर 50-50 हजार रुपये का भी जुर्माना लगाया।
अदालत ने जिन चार सिपाहियों को हत्या के मामले में दोषी करार दिया, उनमे चारों आरोपी कांस्टेबल के नाम रविंद्र, मनोज कुमार और रविंद्र सिंह शामिल है।
यह भी पढ़ें |
Sonbhadra: देर रात हुई अचानक फायरिंग घटना से मचा हड़कंप, तड़ातड़ चली गोलियां
घटनाक्रम के मुताबिक 2010 में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक (यातायात) कल्पना सक्सेना को जाट रेजिमेंट से सूचना मिली की कुछ सिपाही बरेली के नकटिया पुल के पास ट्रक चालकों से अवैध वसूली कर रहे हैं। सूचना पर वह अपनी एक निजी गाड़ी से अन्य सिपाहियों के साथ शाम 6:30 बजे मौके पर पहुंची तो देखा कि सिपाही रविंद्र, मनोज कुमार, रविंद्र सिंह और धर्मेंद्र ट्रक चालकों से अवैध वसूली कर रहे थे।
एसपी कल्पना सक्सेना ने अरोपियों को जब पकड़ने का प्रयास किया तो वे अपनी गाड़ी से भागने लगे। इस बीच उन्होंने एक सिपाही को पकड़ लिया, जिसके बाद आरोपियों ने एक कार से कल्पना सक्सेना को कुचलने का प्रयास किया।
एसपी ट्रैफिक ने उन्हें मौके से भागने से रोका तो आरोपियों ने उन्हें धक्का देकर सड़क पर गिरा दिया, जिससे उनको काफी चोट लगी। घायल अवस्था में उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया।
यह भी पढ़ें |
Fatehpur: पुलिस ने रात्रि चेकिंग के दौरान दो शातिर चोरों को किया गिरफ्तार
कैंट थाने में सभी आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। सिपाहियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया था। मामले की विस्तृत जांच के बाद आरोपियों को दोषी करार दिया गया।