यूक्रेन संकट का जी20 की कार्यवाही पर प्रभाव पड़ेगा, ईयू का भारत की अध्यक्षता पर भरोसा: राजदूत

डीएन ब्यूरो

यूरोपीय संघ (ईयू) के राजदूत उगो एस्टुटो ने बृहस्पतिवार को कहा कि रूस से कच्चा तेल खरीदना जारी रखने को लेकर यूरोप भारत की स्थिति को समझता है और यूक्रेन संघर्ष पर भारत के रूख की सराहना करता हैं।पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

यूक्रेन संकट का जी20 की कार्यवाही पर प्रभाव पड़ेगा
यूक्रेन संकट का जी20 की कार्यवाही पर प्रभाव पड़ेगा


नयी दिल्ली: यूरोपीय संघ (ईयू) के राजदूत उगो एस्टुटो ने बृहस्पतिवार को कहा कि रूस से कच्चा तेल खरीदना जारी रखने को लेकर यूरोप भारत की स्थिति को समझता है और यूक्रेन संघर्ष पर भारत के रूख की सराहना करता हैं।

भारत के पांच दिनों बाद जी20 समूह के विदेश मंत्रियों की महत्वपूर्ण बैठक की मेजबानी करने के बीच एस्टुटो ने कहा कि स्थिति पहले जैसी नहीं रहेगी और इस संकट का समूह की कार्यवाही पर प्रभाव पड़ेगा।

यूक्रेन पर रूस के हमले के एक वर्ष पूरा होने की पूर्वसंध्या पर राजदूत ने कहा कि इस संदर्भ में कार्यवाही को सार्थक बनाने के लिए यूरोपीय संघ जी20 समूह की भारत की अध्यक्षता पर भरोसा करता है।

यूरोपीय संघ के राजदूत ने ‘पीटीआई भाषा’ को साक्षात्कार में कहा कि संघर्ष को लेकर भारत की आवाज प्रभावी है।

उन्होंने कहा, ‘‘ जब जी20 की बात आती है, अपरिहार्य रूप से पहले जैसी बात नहीं रहेगी और जी20 पर इसका प्रभाव पड़ेगा। लेकिन इस संदर्भ में कार्यवाही को सार्थक बनाने के लिए यूरोपीय संघ जी20 समूह की भारत की अध्यक्षता पर भरोसा करता है। जितना हो सकेगा, हम भारत की अध्यक्षता का समर्थन करेंगे।’’

युद्ध में यूरोप पुरजोर तरीके से यूक्रेन का समर्थन कर रहा है जिसमें संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के अनुसार 7,000 से अधिक नागरिक मारे गए हैं और हजारों घायल हो गए हैं।

ईयू के राजदूत ने कहा कि रूस से कच्चे तेल खरीदना जारी रखने के बारे में यूरोप, भारत की स्थिति को समझता है।

उन्होंने कहा, ‘‘ मैं सोचता हूं कि यूरोप अपने लोगों के लिए ऊर्जा की खरीद को लेकर भारत की बाध्यताओं को समझता है और सम्मान करता है। ’’ उन्होंने कहा कि रूस के कच्चे तेल पर जी-7 का मूल्य नियंत्रण वास्तव में कई देशों के लिए काम कर रहा है, जिसमें भारत भी शामिल है ।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सभी सहयोगियों से कहा है कि संयुक्त राष्ट्र चार्टर के बचाव के लिये सभी साथ आएं।’’

गौरतलब है कि जी7 समूह का मूल्य नियंत्रण दिसंबर से प्रभावी हो गया जिसमें देशों को तेल खरीद पर रूस को प्रति बैरल 60 डालर से अधिक भुगतान की मनाही की गई है।

यूरोपीय संघ के राजदूत ने संकट को लेकर भारत की आवाज को ‘प्रभावशाली’ बताया। उन्होंने कई अवसरों पर भारत की ओर से यूक्रेन को भेजी गई मानवीय सहायता का भी उल्लेख किया।

उन्होंने कहा, ‘‘ भारत की आवाज काफी प्रभावशाली है। हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘यह युद्ध का समय नहीं है’ संबंधी बयान की काफी सराहना की है और हमने देखा है कि कई अवसरों पर भारत ने प्रभाव का इस्तेमाल करने का प्रयास किया जिसमें वह समय भी था जब काला सागर के माध्यम से यूक्रेन से अनाज के निर्यात पर एक तरह का समझौता हुआ।’’

ज्ञात हो कि पिछले वर्ष 16 सितंबर को उज्बेकिस्तान में रूसी राष्ट्रपति से द्विपक्षीय बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि यह युद्ध का समय नहीं है। भारत ने अब तक रूसी हमले की निंदा नहीं की है और संघर्ष का समाधान बातचीत और कूटनीति से निकालने पर जोर दिया है।

ईयू के राजदूत ने कहा कि जी20 की भारत की अध्यक्षता में काफी महत्वाकांक्षी कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया है और ज्वलंत मुद्दों पर कुछ बिन्दुओं पर आम सहमति बनने के काफी करीब हैं।

उन्होंने कहा कि यदि सभी अपने 2023 के लक्ष्यों का सम्मान करना चाहते हैं तो टिकाऊ विकास लक्ष्यों को लेकर वैश्विक पहल को और गति प्रदान करने की जरूरत होगी। ‘‘हमें जी20 की भारत की अध्यक्षता में सहयोग करके प्रसन्नता होगी।’’

उन्होंने कहा कि समस्या यह है कि स्थिति पहले जैसी नहीं होगी और यूरोप में यह युद्ध अवैध आक्रमण के कारण हुआ है और इसका जी20 की कार्यवाही पर प्रभाव पड़ेगा।

एस्टुटो ने कहा कि पश्चिम में हर कोई यूक्रेन का मजबूती से सहयोग कर रहा है और वास्तव में अमेरिका, नाटो के उसके सहयोगी, यूरोपीय संघ और यूरोप सभी यूक्रेन के साथ हैं।

 










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