टिपरा मोथा ने माकपा की वजह से गंवाईं सीटें : नेता प्रतिपक्ष अनिमेष देबबर्मा

डीएन ब्यूरो

त्रिपुरा में नेता प्रतिपक्ष अनिमेष देबबर्मा ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के इन आरोपों को खारिज किया कि टिपरा मोथा का साल की शुरुआत में हुए विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ ‘गुप्त समझौता’ था। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

त्रिपुरा में नेता प्रतिपक्ष अनिमेष देबबर्मा
त्रिपुरा में नेता प्रतिपक्ष अनिमेष देबबर्मा


अगरतला:  त्रिपुरा में नेता प्रतिपक्ष अनिमेष देबबर्मा ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के इन आरोपों को खारिज किया कि टिपरा मोथा का साल की शुरुआत में हुए विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ ‘गुप्त समझौता’ था।

देबबर्मा ने दावा किया कि उनकी पार्टी को वाम दल की वजह से विधानसभा चुनावों में कई सीटें गंवानी पड़ीं।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक त्रिपुरा में फरवरी में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा, माकपा-कांग्रेस गठबंधन और नवगठित टिपरा मोथा के बीच त्रिकोणीय मुकाबला था। 60 सदस्यीय राज्य विधानसभा के लिए हुए इन चुनावों में भाजपा को 32 सीटों पर जीत हासिल हुई थी, जबकि उसकी सहयोगी इंडिजीनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के खाते में एक सीट गई थी।

वहीं, माकपा और कांग्रेस ने क्रमश: 11 और तीन सीटें जीती थीं, जबकि 42 सीटों पर किस्मत आजमाने वाली टिपरा मोथा ने 13 सीटों पर जीत दर्ज कर मुख्य विपक्षी दल का दर्जा हासिल किया था।

देबबर्मा ने कहा, “हम माकपा के कारण विधानसभा चुनावों में कई सीटों पर हार गए। त्रिकोणीय मुकाबले की वजह से सत्तारूढ़ भाजपा को भी कुछ सीटों पर शिकस्त का सामना करना पड़ा।”

चुनाव जीतने में भाजपा की मदद के लिए टिपरा मोथा के पार्टी के साथ ‘गुप्त समझौता’ करने के वरिष्ठ माकपा नेता माणिक सरकार के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर देबबर्मा ने कहा, “मैं माणिक सरकार का सम्मान करता हूं, जिन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में 20 वर्षों तक राज्य पर शासन किया। लेकिन लोग कहते हैं कि 70 साल की उम्र के बाद आदमी बच्चे जैसा व्यवहार करने लगता है... मैंने अपने माता-पिता में भी यही प्रवृत्ति देखी थी।”

पूर्वोत्तर राज्य की आदिवासी राजनीति पर कई वर्षों तक दबदबा रखने वाली माकपा विधानसभा चुनावों में अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित एक भी सीट नहीं जीत सकी थी, जिसे उसकी करारी हार का प्रमुख कारक माना गया था।

राज्य में अजजा समुदाय के लिए आरक्षित कुल 20 सीटों में 13 टिपरा मोथा के खाते में गई थीं, जबकि भाजपा और आईपीएफटी को क्रमश: छह और एक सीट पर विजय हासिल हुई थी।

माकपा की आलोचना करते हुए देबबर्मा ने कहा कि टिपरा मोथा ने पांच सितंबर को सिपाहीजला जिले के बॉक्सानगर और धनपुर में हुए उपचुनावों में अपने उम्मीदवार नहीं उतारे, लेकिन फिर भी वाम दल एक भी सीट जीतने में नाकाम रहा।

उन्होंने कहा, “माकपा को दोनों सीटों पर शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा।”

 










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