भारत के लाखों वकीलों के सत्यापन को लेकर आई ये बड़ी खबर, इस नई समिति का हुआ गठन
सुप्रीम कोर्ट ने शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश दीपक गुप्ता की अध्यक्षता में एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति गठित करने का आदेश दिया, जो देश में 25 लाख से अधिक वकीलों के वकालत प्रमाण-पत्रों और अन्य शैक्षणिक प्रमाण पत्रों के सत्यापन की प्रक्रिया की निगरानी करेगी। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश दीपक गुप्ता की अध्यक्षता में एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति गठित करने का आदेश दिया, जो देश में 25 लाख से अधिक वकीलों के वकालत प्रमाण-पत्रों और अन्य शैक्षणिक प्रमाण पत्रों के सत्यापन की प्रक्रिया की निगरानी करेगी।
न्यायालय ने यह भी कहा कि यह न्याय के प्रशासन को संरक्षित रखने के लिए 'अत्यंत महत्वपूर्ण' है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, यह कदम देश भर की अदालतों में फर्जी डिग्री वाले वकीलों के वकालत करने के आरोपों के बीच उठाया गया है।
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वकीलों को इस कवायद में भाग लेने की सलाह देते हुए पीठ ने कहा कि फर्जी लोगों को बाहर निकालने के इरादे से अधिवक्ताओं का सत्यापन किया जाना जरूरी है और ऐसा न किया गया तो न्याय प्रशासन गंभीर संकट में आ जाएगा।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने कहा, 'न्याय के प्रशासन को कायम रखने के लिए वकीलों की डिग्री और प्रैक्टिस के प्रमाण पत्रों का सत्यापन अत्यंत महत्वपूर्ण है।'
पीठ ने कहा है कि समिति में न्यायमूर्ति गुप्ता के अलावा दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश अरुण टंडन शामिल होंगे।
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वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी और मनिंदर सिंह भी पैनल में होंगे। समिति में भारतीय विधिज्ञ परिषद (बीसीआई) द्वारा नामित तीन सदस्य होंगे।
समिति को सुविधाजनक तिथि पर काम शुरू करने और 31 अगस्त तक पीठ को स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा गया है।
इसने वरिष्ठ अधिवक्ता और बीसीआई अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा की दलीलों का भी संज्ञान लिया कि बिना सत्यापन के वकील कुछ राज्य विधिज्ञ परिषदों के सदस्य बन गए हैं और ऐसे व्यक्ति न्यायिक अधिकारियों के पद पर भी हो सकते हैं।