सिसवा के पूर्व चेयरमैन को जनता ने नम आंखों से दी विदाई, अंतिम संस्कार में उमड़ी भारी भीड़

डीएन संवाददाता

महराजगंज जनपद के सिसवा बाजार के पूर्व चेयरमैन उमेशपुरी की मार्ग दुर्घटना में मौत हो गई थी। मंगलवार को जनता ने नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दी। पढें डाइनामाइट न्यूज की पूरी रिपोर्ट

अंतिम संस्कार में उमड़ी भीड़
अंतिम संस्कार में उमड़ी भीड़


सिसवा बाजार (महराजगंज): सिसवा कस्बा निवासी उमेशपुरी की कल सोमवार की दोपहर एक दुर्घटना में मौत हो जाने से सिसवा की जनता का एक चहेता साथी हमेशा  के लिए उनसे जुदा हो गया। हमेशा दूसरों को न्याय दिलाने के लिए उमेशपुरी हमेशा तत्पर रहते थे।

उमेशपुरी की मौत के बाद सिसवा में मातम सा छा गया। कल देर शाम पुरी की शव आते ही उनके आवास में पर लोगों की भीड़ जुट गई। 

मंगलवार की सुबह 9 बजे सिसवा कस्बे के बीजापार में स्थित खेखड़ा घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। जहां लोगों की आखें भावुक हो गई। 

दौड़ पड़ते थे उमेश पुरी
सिसवा कस्बा के पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष उमेश पुरी की कल दोपहर एक दुर्घटना में जहां उनकी  मृत्यु हो गई।

वहीं सिसवा की जनता इस घटना के बाद पूरी तरह मायूस हो गई है। सिसवा के गरीबों को उनका हक दिलवाने के लिए वह हमेशा खड़े रहते थे।

बेटी की शादी के लिए वर खोज रहे थे पुरी
सिसवा कस्बा निवासी मृतक उमेश पुरी अपनी बेटी की शादी के लिए लड़का भी देख रहे थे।  

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लोगों व उनके मित्रों ने बताया कि वह अपनी बेटी की शादी के लिए लड़का देख रहे थे। 

कम उम्र में बने अध्यक्ष
सिसवा कस्बा निवासी उमेश पुरी जिन्होंने सबसे कम उम्र में नगर पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लड़ा और चुनाव जीत गए। साथ ही उन्होंने भाजपा, सपा व बसपा के प्रत्याशियों की जमानत जब्त कराकर सिसवा नगर पंचायत में एक नया इतिहास रचा था।

जिसे सिसवा में अब तक के हुए निकाय चुनावों में कोई भी जनप्रतिनिधि तोड़ नहीं सका है।

नगर के लोगों के बीच लोकप्रिय उमेश पुरी को वर्ष 1995 में मिली ऐतिहासिक जीत उनके जनहित में किए गए आंदोलनों की देन रही। 

1993 में लोगों की समस्या के लिए बैठे थे घरना पर

सिसवा निकाय चुनाव से पूर्व वर्ष 1993 में रेलवे के मुख्य सड़क पर नगर पंचायत का कूड़ा गिराया जाता था, जबकि यहां यात्रियों तथा नगर की जनता को आने-जाने के लिए सड़क की दरकार थी।

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पुरी ने पहले तो रेल प्रशासन से सड़क निर्माण कराने की मांग किया। मगर जब बात नहीं बनी तो वे मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के बैनर तले अपने साथियो के साथ रेल परिसर में भूख हड़ताल पर बैठ गए।

उमेश पुरी का हड़ताल अनवरत 18 दिनों तक जारी रही। 19 वें दिन तत्कालिक एडीआरएम पुरी को गिरफ्तार करने के लिए सिसवा रेल परिसर के धरना स्थल पर पहुंचे। रेल प्रशासन का यह रवैया देख नगर के लोग उग्र हो उठे और प्रशासन से भिड़ गए।

मामला बिगड़ता देख रेल अधिकारियों को खाली हाथ लौटना पड़ा। जिसके बाद रेल प्रशासन ने नगर पंचायत को सड़क बनवाने की अनुमति प्रदान किया और सड़क महज एक माह के अंदर बनकर पूरी हो गई।

चुनाव का बिगुल बजते ही लड़े चुनाव
1995 में सिसवा नगर पंचायत चुनाव का बिगुल बज गया। इस चुनाव में सिसवा नगर के कुछ प्रबुद्ध वर्ग के लोगों ने उमेश पुरी ने चुनाव मैदान में चेयरमैन प्रत्याशी के रूप में खड़ा कर दिया।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के बैनर तले हसिया व हथौड़ी के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ रहे सबसे कम उम्र के प्रत्याशी उमेश पुरी को मिले भारी जन समर्थन ने उनके हौसले को और बढ़ा दिया।

उमेश पूरी ने भाजपा के सोमनाथ चौरसिया, सपा के हनुमान प्रसाद जायसवाल, बसपा के इशहाक व अमला प्रसाद चौरसिया सहित अन्य सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त कराते हुए 2518 मत पाकर चुनाव जीत गए थे।










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