

उत्तराखंड सरकार ने जोशीमठ में जमीन धंसने से बुरी तरह प्रभावित दो होटलों को मंगलवार को गिराने की तैयारी की, वहीं होटल मालिकों ने इस आकस्मिक कदम का विरोध करते हुए कहा कि उन्हें इस बारे में पूर्व जानकारी नहीं दी गयी। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
जोशीमठ: उत्तराखंड सरकार ने जोशीमठ में जमीन धंसने से बुरी तरह प्रभावित दो होटलों को मंगलवार को गिराने की तैयारी की, वहीं होटल मालिकों ने इस आकस्मिक कदम का विरोध करते हुए कहा कि उन्हें इस बारे में पूर्व जानकारी नहीं दी गयी।
राज्य सरकार ने सोमवार को ‘माउंट व्यू’ और ‘मालारी इन’ होटलों को गिराने का फैसला किया जिनमें हाल में बड़ी दरार आ गयीं और दोनों एक-दूसरे की ओर झुक गये हैं। इससे आसपास की इमारतों को खतरा पैदा हो गया है।
आपदा प्रबंधन के सचिव रंजीत सिन्हा ने संवाददाताओं से कहा कि केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान, रुड़की को होटलों को गिराने के काम में लगाया गया है।
इन होटलों के मालिकों ने कहा कि उन्हें समाचार पत्रों के माध्यम से इस बारे में पता चला। उन्होंने मांग की कि निर्णय लेने से पहले उन्हें एकमुश्त निपटान योजना की पेशकश की जानी चाहिए।
मालारी इन के मालिक ठाकुर सिंह ने कहा, ‘‘मुझे आज सुबह अखबार से इस बारे में पता चला। कोई पूर्व नोटिस नहीं दिया गया। अगर सरकार ने मेरे होटल को असुरक्षित समझा है तो उसे इसे गिराने का फैसला करने से पहले एकमुश्त निपटान योजना लानी चाहिए।’’
भोटिया जनजाति से ताल्लुक रखने वाले सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मैंने अपने खून पसीने से यह होटल बनाया है। अगर इसे इस तरह गिरा दिया जाएगा तो मेरा क्या होगा।’’
माउंट व्यू होटल के मालिक लालमणि सेमवाल ने भी इसी तरह की चिंता जताते हुए कहा, ‘‘हमने अपने सारे संसाधन लगाकर यह होटल बनाया। हमने सरकार को नियमित कर अदा किया। तब उसने कुछ नहीं कहा और अब अचानक से इस तरह का फैसला आ जाता है। क्या यह मानवाधिकारों का उल्लंघन नहीं है?’’
उन्होंने कहा, ‘‘कम से कम हमें बद्रीनाथ की तर्ज पर एकमुश्त निपटान योजना के तहत मुआवजा दिया जाना चाहिए।’’
इस बीच, होटलों और आसपास के क्षेत्रों की बिजली काट दी गयी है।
मुख्य सचिव एस एस संधू ने जोशीमठ के उच्च जोखिम वाले क्षेत्र में स्थित इमारतों को गिराने तथा प्रभावित लोगों की त्वरित निकासी का आदेश देते हुए कहा था कि ‘एक-एक मिनट महत्वपूर्ण है।’’
No related posts found.