बिहार विधानसभा में हुआ भाजपा विधायकों के आचरण का बचाव, जानिये पूरा मामला

डीएन ब्यूरो

बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता विजय कुमार सिन्हा ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों के सदन में आचरण का बचाव किया, जिन्होंने सदन के अंदर एक कुर्सी तोड़ दी और कागज के टुकड़े फेंके, जिससे विधानसभा की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित करनी पड़ी। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता विजय कुमार सिन्हा
बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता विजय कुमार सिन्हा


पटना: बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता विजय कुमार सिन्हा ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों के सदन में आचरण का  बचाव किया, जिन्होंने सदन के अंदर एक कुर्सी तोड़ दी और कागज के टुकड़े फेंके, जिससे विधानसभा की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित करनी पड़ी।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार सिन्हा ने अध्यक्ष पर ‘‘सौतेला व्यवहार’’करने का आरोप लगाया। उन्होंने अध्यक्ष पर ‘‘सरकार के एक उपकरण के रूप में काम करने’’ का भी आरोप लगाया और दावा किया कि उनकी ‘‘78 सदस्यीय मजबूत’’ पार्टी को ‘‘सिर्फ चार-पांच विधायकों’’ वाले दलों की तुलना में भी कम समय दिया जा रहा है।

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘हम यह सब सहते रहे हैं। आज जब मैंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भ्रष्टाचार पर नरम रुख अपनाने का मुद्दा उठाया तो मेरा माइक बंद कर दिया गया’’

सिन्हा का इशारा राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के रेल मंत्री रहते हुए उनके कार्यकाल के दौरान हुए भूमि घोटाले में उनके बेटे एवं उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के के खिलाफ ताजा आरोप पत्र की ओर था।

तेजस्वी ने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा, ‘‘यह दूसरी बार है जब मेरे खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया है। पहला मामला 2017 में आया था। केवल भगवान ही जानता है कि पिछले छह वर्षों में मामले में क्या प्रगति हुई।’’

युवा राजद नेता ने पूछा, ‘‘तथ्य यह है कि मेरे खिलाफ पहला आरोप पत्र तब भी था, जब मैंने पिछले साल उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। यदि भाजपा को इतना यकीन है कि आरोप पत्र एक बड़ा मुद्दा है तो जब मैं शपथ ले रहा था तो उसने विरोध क्यों नहीं किया।’’

सिन्हा ने कहा कि वह और उनकी पार्टी के लोग ‘‘शिक्षक की नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों और किसान सलाहकारों पर लाठीचार्ज सहित कई अन्य मुद्दे’’ उठाना चाहते थे। उन्होंने बृहस्पतिवार को होने वाले भाजपा के ‘‘बिहार विधानसभा मार्च’’ का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘ बिहार लोकनायक जयप्रकाश नारायण की भूमि है। कल यह एक असंवेदनशील शासन के खिलाफ एक और जन आंदोलन का गवाह बनेगा।’’

भाजपा का बिहार विधानसभा मार्च शिक्षक नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों की मांगों के समर्थन में आयोजित किया जाएगा जिनमें शिक्षक नियुक्ति की नई नियमावली में मूल निवास प्रमाण पत्र नीति की अहर्ता को वापस लेना, नियोजित शिक्षकों को नियमित करना और सीटीईटी और बीटीईटी पास करने वालों के लिए बिना किसी प्रतिस्पर्धी परीक्षा के सीधी नियुक्ति शामिल है।

शिक्षकों के मुद्दों के अलावा भाजपा आंदोलनकारी ‘‘कृषि सलाहकारों’’ की मांग का समर्थन करती दिख रही है। उनकी मांग है कि उनके साथ भी जन सेवकों जैसा व्यवहार किया जाए।

तेजस्वी ने कहा, ‘‘सरकार उन सभी मुद्दों पर सदन के भीतर जवाब देने के लिए तैयार थी जिन्हें विपक्ष उठाने का दावा करता है, लेकिन उनका आचरण इस प्रतिष्ठित सदन के सदस्यों के प्रति अशोभनीय था।’’

सिन्हा अपनी बात पर अड़े रहे और दो साल पहले की उस घटना को उठाया जब वह अध्यक्ष थे और उन्हें राजद के विधायकों, जो उस समय विपक्ष में थे, ने उनके कक्ष के अंदर बंधक बना लिया था। उस समय विधानसभा के अंदर पुलिस बुलाई गई थी और उपद्रवी सदस्यों को बाहर निकाल दिया गया था।

उन्होंने आरोप लगाया कि घटना की जांच करने वाली समिति ने राजद के सत्ता में आने से पहले एक रिपोर्ट सौंपी थी, लेकिन रिपोर्ट सदन के समक्ष पेश नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि यह भी इस बात का स्पष्ट उदाहरण है कि सदन के अध्यक्ष सरकार के पक्षकार बन गये हैं।

जदयू (जनता दल यूनाइटेड) के वरिष्ठ नेता और मंत्री श्रवण कुमार ने सिन्हा के व्यवहार को अनुचित बताया।

राज्य मंत्री तेजप्रताप यादव ने भी भाजपा विधायकों के आचरण की निंदा की और उनमें से एक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। उन्होंने दावा किया कि एक विधायक ने एक कुर्सी उठाकर फर्श पर पटक दी थी।

तेजप्रताप ने कहा, ‘‘यह भाजपा के ताबूत में एक और कील है जो 2024 का लोकसभा चुनाव हार जाएगी और तब (प्रधानमंत्री) नरेन्द्र मोदी को सत्ता छोड़नी होगी और महागठबंधन के लिए रास्ता साफ करना होगा।’’










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