कोयला आधारित विरोधाभास: आखिर जलवायु कार्रवाई को ‘सर्किट ब्रेकर’ की आवश्यकता क्यों

डीएन ब्यूरो

कार्बन उत्सर्जन में कमी के धीमे प्रयासों का ठीकरा कमजोर राजनीतिक इच्छाशक्ति पर फोड़ा जाता है लेकिन समय बदल रहा है और एक ‘सर्किट ब्रेकर’ (सुरक्षा उपकरण) की आवश्यकता है।पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

कोयला आधारित विरोधाभास
कोयला आधारित विरोधाभास


 

पेटलिंग जया (मलेशिया): कार्बन उत्सर्जन में कमी के धीमे प्रयासों का ठीकरा कमजोर राजनीतिक इच्छाशक्ति पर फोड़ा जाता है लेकिन समय बदल रहा है और एक ‘सर्किट ब्रेकर’ (सुरक्षा उपकरण) की आवश्यकता है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक नवीकरणीय ऊर्जा निवेश के क्षेत्र में चीन विश्व नेता बन गया है जो अकेले 2022 में दुनिया के अल्प कार्बन खर्च का करीब आधा हिस्सा वहन करेगा। यह उन विरोधाभासों का भी एक बड़ा उदाहरण है जो जलवायु परिवर्तन से लड़ने के प्रयासों के तहत कार्बन उत्सर्जन में कमी के वैश्विक प्रयासों को प्रभावित कर रहे हैं।

नवीकरणीय ऊर्जा के लिए 546 अरब डॉलर का खर्च चीन को इस क्षेत्र में दुनिया का सबसे बड़ा बाजार बनाता है और इसकी क्षमता करीब 1.2 टेरावाट (120 अरब एलईडी बल्ब के प्रकाश के बराबर) बढ़ गई है।

चीन अपनी ऊर्जा खपत की तीव्रता को कम करने में भी सबसे तेज है। 2011 और 2020 के बीच इसमें 28.7 प्रतिशत की गिरावट आई है और वह अपनी ‘बेल्ट एंड रोड’ पहल में भाग लेने वाले देशों में सतत विकास को बढ़ावा देकर वैश्विक सहयोग में अग्रणी भूमिका निभाता है।

अपने शानदार नतीजों के बावजूद चीन आश्चर्यजनक दर से नए कोयला बिजली संयंत्रों का निर्माण जारी रखे हुए है। दुनिया के बाकी हिस्सों की तुलना में यहां छह गुना अधिक कोयला संयंत्रों का निर्माण शुरू हो गया है, जिससे पिछले साल एक सप्ताह में औसतन दो नए संयंत्रों की अनुमति मिली।

लेकिन यहां राहत की बात यह है कि चीन छोटे और अधिक प्रदूषण फैलाने वाले कोयला बिजली संयंत्रों को बंद कर उनकी जगह बड़े, कम प्रदूषण फैलाने वाले संयंत्र लगा रहा है।

संयुक्त राष्ट्र ‘सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) 13’ में जलवायु परिवर्तन कार्रवाई की बात करता है।

‘एसडीजी 13’ जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभावों से निपटने के लिए कार्रवाई करने पर केंद्रित है, जिसमें मौसम की चरम घटनाएं, समुद्र का बढ़ता स्तर और बर्फ का पिघलना शामिल है। इसका उद्देश्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के अनुकूल होना, लचीलापन बनाना और जलवायु परिवर्तन के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।

जलवायु कार्रवाई शब्द में कई गतिविधियों को शामिल किया गया है, जैसे ऊर्जा के उपयोग को कम करना, पानी का संरक्षण करना, पुनर्चक्रण और खाद बनाना, पेड़ लगाना और मोटर चालित परिवहन को कम करना। इसमें सक्रिय परिवहन को बढ़ाना भी शामिल है, जिसमें पैदल चलना और साइकिल चलाना शामिल है, साथ ही ऐसे व्यवसायों का समर्थन करना भी शामिल है जो स्थिरता को शामिल करते हैं।

कार्बन उत्सर्जन में कमी पर धीमी प्रगति अकसर राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के कारण होती है, जिससे सार्वजनिक जागरूकता कम होती है। लेकिन इसके उलट भी सत्य हो सकता है।

वर्ष 2021 में एक वैश्विक सर्वेक्षण में 12,096 उत्तरदाताओं में से केवल 57 प्रतिशत ने माना कि एक राजनीतिक उम्मीदवार के रिकॉर्ड और जलवायु कार्रवाई पर स्थिति ने उनके मतदान निर्णयों को प्रभावित किया।

यह व्यापक नागरिक भागीदारी की आवश्यकता को रेखांकित करता है ताकि नेताओं को उनके वैधानिक योगदान एवं जलवायु परिवर्तन में सार्वजनिक निवेश के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सके।

हिंद-प्रशांत विकास और प्राथमिकताओं के विभिन्न स्तरों वाले देशों का घर है, लेकिन सभी जलवायु परिवर्तन से प्रभावित हैं। विकास और कार्बन कटौती के बीच दुविधा के कारण कई देशों में जलवायु परिवर्तन के जवाब में परस्पर विरोधी कार्रवाई हो रही है।

 










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